- वी आर आई में मनाई गई स्वामी दयानंद सरस्वती की 200 वीं जयन्ती
- स्वामी दयानंद सरस्वती के व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषय पर हुआ व्याख्यान
वृंदावन। वृंदावन शोध संस्थान में शनिवार को स्वामी दयानंद सरस्वती की 20 वीं जयन्ती के अवसर पर ‘‘स्वामी दयानंद सरस्वती व्यक्तित्व एवं कृतित्व’’ विषयक व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यान के मुख्य वक्ता आचार्य स्वदेश, अध्यक्ष विरजानंद ट्रस्ट, मथुरा ने कहा कि स्वामी दयानंद ने सनातन धर्म के अन्दर व्याप्त अन्धविश्वास एवं पाखण्ड को दूर किया। उन्होंने मथुरा में साढ़े तीन वर्ष रहकर स्वामी विरजानंद से शिक्षा प्राप्त की थी। स्वामी विरजानंद ने उनसे गुरू दीक्षा में आर्य धर्म के प्रचार-प्रसार का संकल्प लिया था। उन्होंने अपने जीवन में अछूत उद्धार, गोरक्षा, संस्कार, हिन्दी का प्रचार-प्रसार एवं क्रांतिकारी आंदोलन के लिए महत्वपूर्ण योगदान किया। उन्होंने सभी उपस्थित विद्यार्थियों से आत्मचिंतन, गायत्री जप करने एवं जातिवाद से दूर रहने के लिए कहा। कार्यक्रम अध्यक्ष आचार्य विपिन बिहारी, मंत्री, आर्यवीर दल, उत्तरप्रदेश ने बताया कि वेदों का ज्ञान समस्त मानव जाति के कल्याण के लिए है। स्वामी दयानंद ने तर्क एवं विज्ञान पर आधारित शिक्षा पर जोर दिया। उन्होंने बाल विवाह, विधवा विवाह एवं बलि परम्परा आदि का विरोध किया। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान नरम एवं गरम दल की परम्परा के स्वतंत्रता सेनानियों के वे प्रेरणा स्त्रोत थे। तत्पश्चात् ब्रज संस्कृति संग्रहालय की क्यूरेटर ममता कुमारी ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि सबसे बड़ा धर्म मानवता है और स्वामी दयानंद का जीवन हमारे लिए आदर्श है। उनके जीवन मूल्यों को हमें अपने जीवन में धारण करना चाहिए।
इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारम्भ स्वामी दयानंद सरस्वती के चित्रपट पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। अतिथियों का स्वागत संस्थान के प्रशासनाधिकारी रजत शुक्ला ने पटुका ओढ़ाकर किया। कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन संस्थान के वरिष्ठ शोध एवं प्रकाशन सहायक डॉ. करूणेश उपाध्याय ने किया। कार्यक्रम में श्रीरामकृष्ण विवेकानंद जूनियर हाईस्कूल के 21 एवं परमेश्वरी देवी धानुका सरस्वती विद्या मंदिर के 19 छात्र-छात्राओं ने सहभागिता की। कार्यक्रम में दोनों विद्यालयों के शिक्षकगण यथा-गोपाल शरण शर्मा, सीमा शर्मा, आशीष कुमार श्रीवास्तव, अवधेश कुमार सिंह, सत्येन्द्र तौमर, अभिषेक पाण्डे आदि उपस्थित रहे।