
विजय गुप्ता की कलम से
मथुरा। अनंत स्वरूप वाजपेई “देशभक्त” अपनी अनंत यात्रा पर रवाना हो गए। कुछ दिनों पूर्व मैंने एक लेख लिखा था “साधु और बिच्छू की कहानी” जिसमें देशभक्त जी के साधुत्व की चर्चा की थी। ईश्वर ने मेरे लेखन की पुष्टि करते हुए मुहर का ऐसा जोरदार ठप्पा लगाया कि दुनियां वाले अचंभित हो उठे।
महाशिवरात्रि का पावन दिन शिव मंदिर में जलाभिषेक पूजा अर्चना और हवन के पश्चात घर आकर यकायक देह त्याग दी और यह सिद्ध कर दिया कि वे सचमुच में दुर्लभ संत थे। ऐसी मौत तो लाखों क्या करोड़ों में ही किसी भाग्यशाली को नसीब होती होगी।
गिर्राज जी के परम भक्त देशभक्त जी ने अपना पूरा जीवन ईमानदारी, सादगी, ईश्वर भक्ति के साथ बिताया। वे अपने लिए नुकसान पहुंचाने वालों तक के लिए उदार भाव रखते थे। यही कारण रहा कि गिर्राज जी ने ऐसे पवित्र दिन चलते-फिरते हाथ पांव अपने धाम में बुलाया। हम सभी को देशभक्त जी के तपस्वी जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। ऐसी महान आत्मा के चरणों में शत् शत् नमन।