सूचनाओं के सुरक्षित आदान-प्रदान में सहायक है क्वांटम कम्प्यूटिंगः प्रो. लिवेन शिह
मथुरा। क्वांटम कम्प्यूटिंग का भविष्य बहुत रोमांचक है। यह तकनीक जटिल समस्याओं को हल करने, साइबर सुरक्षा को बेहतर बनाने तथा एआई को बढ़ाने में मदद कर सकती है। क्वांटम कम्प्यूटिंग से जहां रसायन विज्ञान की चुनौतीपूर्ण समस्याओं को हल करने में मदद मिलेगी वहीं सूचनाओं के सुरक्षित आदान-प्रदान में भी सुधार होगा। यह बातें प्रो. लिवेन शिह (ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी सिटी लेक्स ह्यूस्टन अमेरिका) ने जीएल बजाज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस मथुरा द्वारा फ्यूचर प्रूफ अमिड डिसरप्टिव क्वांटम एनएआई जरनी विषय पर आयोजित विशेषज्ञ व्याख्यान में संस्थान के संकाय सदस्यों तथा छात्र-छात्राओं को बताईं।
प्रो. लिवेन ने बताया कि क्वांटम कम्प्यूटिंग से रडार और मिसाइलों का पता लगाने की क्षमता बेहतर होगी, पानी को स्वच्छ करने में मदद मिलेगी, इतना ही नहीं स्वास्थ्य सेवा उद्योग में नई दवाओं और बेहतर चिकित्सा देखभाल के क्षेत्र में सुधार होगा तथा वित्तीय संस्थाएं बेहतर निवेश पोर्टफोलियो डिजाइन कर सकेंगी। क्वांटम कम्प्यूटिंग से मजबूत ऑनलाइन सुरक्षा होगी तथा इससे विमान और यातायात नियोजन प्रणालियां बेहतर होंगी। अतिथि वक्ता ने बताया कि क्वांटम कम्प्यूटिंग क्वांटम यांत्रिकी के नियमों का उपयोग करके प्रसंस्करण शक्ति को तेज करती है ताकि उन समस्याओं को हल किया जा सके जो शास्त्रीय कम्प्यूटिंग के दायरे से बाहर हैं।
अतिथि वक्ता ने छात्र-छात्राओं को बताया कि क्वांटम कम्प्यूटिंग की कुछ चुनौतियां भी हैं। सबसे पहले, भौतिकी से जुड़ी कुछ ऐसी अत्यावश्यक बाधाएं हैं जिनका समाधान किया जाना आवश्यक है। क्वांटम कम्प्यूटिंग में डेटा प्रतिनिधित्व और गणना के लिए आवश्यक क्यूबिट्स, भौतिक अवस्था में स्वाभाविक रूप से अस्थिर होते हैं। नतीजतन, उन्हें अपनी स्थिरता बनाए रखने के लिए बेहद ठंडे वातावरण में रखने की आवश्यकता होती है, भले ही यह कुछ नैनोसेकेंड की संक्षिप्त अवधि के लिए ही क्यों न हो।
प्रो. लिवेन ने बताया कि क्वांटम कम्प्यूटिंग वर्तमान में बहुत महंगी है। इसे सबसे अच्छी तरह से वित्त पोषित अनुसंधान संस्थान और सबसे बड़ी निगम ही खरीद सकते हैं। इसके अतिरिक्त, एक धारणा यह भी है कि ब्रह्मांडीय किरणें क्वांटम कम्प्यूटिंग के व्यापक उपयोग में बाधा डाल सकती हैं। इसके अलावा, ऐसी घटनाओं से होने वाली त्रुटियां, जो शास्त्रीय कम्प्यूटिंग को भी प्रभावित कर सकती हैं। उन्होंने बताया कि फिलवक्त क्वांटम कम्प्यूटिंग को विकसित करने और उसके साथ काम करने के कौशल वाले प्रतिभावान लोगों की संख्या बहुत सीमित है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा क्वांटम कम्प्यूटिंग द्वारा एन्क्रिप्शन के लिए उत्पन्न होने वाला खतरा है। डिजिटल क्रिप्टोग्राफी वर्तमान में हमारी सभी ऑनलाइन गतिविधियों, संचार और सूचनाओं की सुरक्षा के लिए उपयोग की जाती है, जिसमें सैन्य, वाणिज्यिक और राष्ट्रीय सूचनाएं शामिल हैं। प्रो. शिह ने क्वांटम कम्प्यूटिंग के भविष्य और इसकी सम्भावनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि किस प्रकार क्वांटम कम्प्यूटिंग की सहायता से दुनिया अत्यंत बड़े पैमाने की गणनाओं को पलक झपकते ही हल कर सकेगी। उन्होंने उच्च गति कम्प्यूटिंग और डेटा ट्रांसफर को वर्तमान समय की प्रमुख आवश्यकताएं बताते हुए छात्र-छात्राओं से इन क्षेत्रों में अनुसंधान करने का आह्वान किया। इसके अलावा उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के महत्व और विकास पर भी विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस प्रकार उनके विश्वविद्यालय और ह्यूस्टन में एआई को लागू किया गया है। अंत में संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने प्रो. लिवेन शिह का आभार माना।
चित्र कैप्शनः संकाय सदस्यों तथा छात्र-छात्राओं को क्वांटम कम्प्यूटिंग की खूबियां और दुष्परिणामों की जानकारी देते हुए से प्रो. लिवेन शिह।
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