Wednesday, March 19, 2025
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देशभक्त जी की स्मृति में सड़क का नामकरण हो विजय गुप्ता की कलम से

मथुरा। मूर्धन्य पत्रकार एवं शिक्षाविद् श्रद्धेय देशभक्त वाजपेई जी की स्मृति में अमरनाथ विद्या आश्रम से जुड़ी हुई किसी भी सड़क का नामकरण “देशभक्त वाजपेई मार्ग” होना चाहिए।
     उल्लेखनीय है कि देशभक्त जी ने लगभग पांच दशक से पत्रकारिता और शिक्षा के क्षेत्र में ब्रजभूमि की महत्वपूर्ण सेवा ईमानदारी, सच्चाई और कर्तव्य निष्ठा के साथ की। ईश्वर की उन पर ऐसी कृपा रही कि देह त्याग से कुछ समय पूर्व तक उन्होंने अपने इस मिशन को जारी रखा।
     यह भी सर्व विदित है कि वे एक तपस्वी व्यक्ति थे। कुछ वर्ष पूर्व तक वे गिर्राज जी की सपत्नीक दंडवती परिक्रमा करते उसके बाद जब दंडवती परिक्रमा नहीं कर पाते तो पैदल और जब अस्वस्थता के कारण पैदल की भी उनकी सामर्थ नहीं रही तो बैटरी रिक्शा से ही परिक्रमा जारी रखी।
     यह कितनी अदभुत बात है कि शिवरात्रि के महान पर्व पर मंदिर जाकर शिव पूजा, अर्चना, अभिषेक व हवन के पश्चात घर आकर अपने प्राण त्यागे। उनकी दिव्यता का यह ईश्वरीय प्रमाण पत्र है। देशभक्त जी की दुर्लभता को देखते हुए तथा उनकी यादगार बनाये रखने के लिए यह आवश्यक है कि अमरनाथ विद्या आश्रम से जुड़ी हुई किसी भी सड़क का नाम “देशभक्त वाजपेई मार्ग” होना चाहिए। हालांकि उनका नाम अनंत स्वरूप वाजपेई ‘देशभक्त” था किंतु लोग उन्हें देशभक्त वाजपेई के नाम से जानते रहे हैं।
     अमरनाथ विद्या आश्रम से के. आर. कॉलेज तक कब्रिस्तान होकर जाने वाली सड़क का नाम उनके नाम पर श्रेष्ठ रहेगा क्योंकि अमरनाथ से जुड़ी अन्य सड़कों के नामकरण पहले से ही हो चुके हैं। यह सड़क शहर के एक हिस्से को दूसरे हिस्से से शॉर्टकट से जोड़ने वाली छोटी सी महत्वपूर्ण सड़क है। यह रास्ता अमरनाथ विद्या आश्रम से सटा हुआ भी है। इसका कोई नामकरण भी नहीं हुआ है। अतः देशभक्त जी की यादगार के लिए इसका नाम “देशभक्त वाजपेई मार्ग” होना चाहिए।
     इस दिशा में देशभक्त जी के परिवारीजनों को प्रयास करने होंगे। पत्रकारों, राजनैतिक व सामाजिक लोगों को भी आगे आकर नगर निगम के द्वारा जल्द से जल्द इस आशय का प्रस्ताव पास कराकर अपना कर्तव्य पूरा करना चाहिए।
     सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है की देशभक्त जी ने धन, दौलत, जमीन, जायदाद आदि कुछ नहीं बटोरा। उन्होंने तो सिर्फ अपनी इज्जत बनाई और दुनियां वालों को यह संदेश दे गए कि “जैसे करम करोगे वैसे फल देगा भगवान” इसी संदेश को चरितार्थ करते हुए दुर्लभ गति को प्राप्त हुए और गिर्राज जी के चरणों में जा पहुंचे। हम सभी को उनके आदर्श जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।

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