Saturday, April 26, 2025
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दंत चिकित्सा में 3डी इमेजिंग काफी मददगारः डॉ. कुहू मजूमदारके.डी. डेंटल कॉलेज में मना राष्ट्रीय आईएओएमआर दिवस


मथुरा। 3-डी छवियां समग्र दंत चिकित्सकों, मौखिक रोग विशेषज्ञों तथा उन्नत दंत प्रत्यारोपण विशेषज्ञों को दंत चिकित्सा निदान और दंत सर्जरी की योजना बनाने में काफी मददगार होती हैं। डेंटल सीबीसीटी स्कैन एकमात्र डायग्नोस्टिक विधि है जो जबड़े में डेंटल कैविटेशन संक्रमण की पहचान करने में सक्षम है। सभी दंत चिकित्सकों द्वारा उपयोग किया जाने वाला 3-डी सीबीसीटी स्कैन देखभाल का मानक है और जबड़े की हड्डी में असामान्यताओं का निदान करने के लिए एकमात्र भरोसेमंद डायग्नोस्टिक टूल है। यह बातें के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में द्वारा आयोजित राष्ट्रीय आईएओएमआर दिवस पर अतिथि वक्ता डॉ. कुहू मजूमदार ने संकाय सदस्यों तथा छात्र-छात्राओं को बताईं।
ओरल मेडिसिन एंड रेडियोलॉजी में एमडीएस डॉ. कुहू मजूमदार ने अपने व्याख्यान में “दंत चिकित्सा में 3डी इमेजिंग की शक्ति को अनलॉक करना- सीबीसीटी कैसे रोगी देखभाल को बदल रहा है विषय पर अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने दंत चिकित्सा में सीबीसीटी के सिद्धांत और लाभ, सीबीसीटी की नैदानिक शक्ति और आधुनिक दंत चिकित्सा में उनके अनुप्रयोग, बढ़ी हुई उपचार सटीकता और पूर्वानुमान, 3डी विजुअलाइजेशन के माध्यम से बेहतर रोगी संचार और शिक्षा, सर्जिकल जटिलताओं के कम जोखिम तथा दंत चिकित्सा में 3डी इमेजिंग के भविष्य पर अपने अनुभव साझा किए
डॉ. कुहू मजूमदार द्वारा सीबीसीटी पर व्यावहारिक कार्यशाला में कई महत्वपूर्ण विषयों पर भावी दंत चिकित्सकों को विस्तार से जानकारी दी गई। इस अवसर पर ओरल मेडिसिन और रेडियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. विनय मोहन ने रेडिएशन के खतरे और सुरक्षा विषय पर अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि दंत चिकित्सा में रेडिएशन के खतरे और सुरक्षा एक महत्वपूर्ण विषय है। दंत एक्स-रे और अन्य इमेजिंग तकनीकों से निकलने वाला विकिरण, कम मात्रा में होने के बावजूद कुछ जोखिमों से जुड़ा है। ये जोखिम आमतौर पर कम होते हैं, लेकिन अनावश्यक विकिरण से बचना महत्वपूर्ण है।
डॉ. विनय मोहन ने दंत चिकित्सकों को विकिरण सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि कुछ अध्ययनों से पता चला है कि बार-बार या अनावश्यक एक्स-रे के सम्पर्क में आने से जहां कैंसर का खतरा बढ़ सकता है वहीं लार ग्रंथियों और थायरॉयड ग्रंथि को नुकसान पहुंच सकता है। उन्होंने विकिरण को कम करने के लिए लेड एप्रन और थायरॉयड कॉलर का उपयोग करने की सलाह दी। अपने व्याख्यान में उन्होंने विकिरण के अल्पकालिक और दीर्घकालिक प्रभाव, मौखिक ऊतकों पर विकिरण के प्रभाव तथा विकिरण सुरक्षा के तरीके भी बताए। इस अवसर पर ओरल मेडिसिन और रेडियोलॉजी विभाग के पीजी छात्रों द्वारा ई-पोस्टर की प्रस्तुति की गई, जिसमें उनके द्वारा ओरल कैंसर और प्रीकैंसरस स्थितियों तथा उनकी रोकथाम के बारे में जानकारी दी गई।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल और प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन छात्र-छात्राओं ही नहीं संकाय सदस्यों के लिए भी काफी लाभकारी साबित होते हैं। डीन और प्राचार्य डॉ. मनेश लाहौरी ने डॉ. कुहू मजूमदार का मुंबई से यहां आने और अपना बहुमूल्य अनुभव साझा करने के लिए आभार व्यक्त किया। डॉ. लाहौरी ने ओरल मेडिसिन और रेडियोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. विनय मोहन द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की। कार्यक्रम के समापन अवसर पर सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए।
चित्र कैप्शन। प्रमाण पत्र वितरण के दौरान प्रतिभागियों के साथ मुख्य वक्ता डॉ. कुहू मजूमदार, प्राचार्य डॉ. मनेश लाहौरी, विभागाध्यक्ष डॉ. विनय मोहन, प्रो. (डॉ.) अनुज गौर तथा अन्य संकाय सदस्य।

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