Monday, November 25, 2024
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जी.एल. बजाज के छात्रों ने यूवी-सी प्रकाश के प्रभाव पर किया शोध

रिसर्च पेपर इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ट्रेण्ड इन साइंटिफिक रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट में प्रकाशित
मथुरा। जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस, मथुरा के ईसीई तृतीय वर्ष के मेधावी छात्रों मनीष रंजन और सुमित कुमार सिंह का एक और रिसर्च पेपर इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ट्रेण्ड इन साइंटिफिक रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट में प्रकाशित हुआ है। इन छात्रों ने बैक्टीरिया और वायरस पर यूवी-सी (पराबैंगनी-सी) प्रकाश के प्रभाव पर अनुसंधान किया है। इससे पहले इन्होंने इंडस्ट्रीज में पी.सी.बी. फैब्रिकेशन एण्ड मैन्यूफैक्चरिंग की भविष्य में उपयोगिता और होने वाले बदलाओं पर शोध किया था। इन छात्रों की शानदार उपलब्धि पर आर.के. एज्यूकेशन हब के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल, चेयरमैन मनोज अग्रवाल और संस्थान के निदेशक डॉ. एल.के. त्यागी ने बधाई देते हुए उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।
अपने शोध पर मनीष रंजन और सुमित कुमार सिंह का कहना है कि इस समय समूची दुनिया कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझ रही है। यह ऐसा सूक्ष्म वायरस है जिसे हम सिर्फ विशेष उपकरण (एक माइक्रोस्कोप) के माध्यम से ही देख सकते हैं। यह सूक्ष्म जीवाणु आमतौर पर एक-कोशिका वाले होते हैं, जो हर जगह पाए जा सकते हैं। यह वायरस जीवित कोशिकाओं के अंदर प्रतिकृति करता है। इंफ्लुएंजा, चिकनपॉक्स, टाइफाइड जैसी कई बीमारियां भी बैक्टीरिया और वायरस से ही फैलती हैं। हमने बैक्टीरिया और वायरस पर यूवी-सी प्रकाश के प्रभाव के बारे में शोध किया है।
इनका कहना है कि पराबैंगनी प्रकाश में तीन तरंगें यूवी-ए, यूवी-बी और यूवी-सी होती हैं। इन छात्रों का मानना है कि यूवी-सी तकनीक के माध्यम से एक सेकेंड के भीतर सभी तरह के बैक्टीरिया और वायरस के 99.99 प्रतिशत से अधिक हिस्से को नष्ट किया जा सकता है। यूवी-सी प्रकाश का उपयोग कई अनुप्रयोगों जैसे जल शोधन, वायु बंध्याकरण, खाद्य प्रसंस्करण सतह की सफाई आदि में सफलतापूर्वक किया जा चुका है। छात्रों का कहना है कि सुदूर यूवी-सी प्रकाश की एक बहुत सीमित सीमा होती है जो मानव त्वचा की बाहरी मृत-कोशिका परत या आंख में आंसू की परत के माध्यम से प्रवेश नहीं कर सकती, इसलिए यह मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा नहीं है।
मनीष रंजन और सुमित कुमार सिंह का कहना है कि वायरस और बैक्टीरिया मानव कोशिकाओं की तुलना में बहुत छोटे हैं, यूवी-सी प्रकाश उनके डीएनए तक पहुंच सकते हैं और उन्हें मार सकते हैं। इन छात्रों का मानना है कि यूवी-सी तकनीक सूक्ष्म से सूक्ष्म वायरस, बैक्टीरिया, गलन और कीटाणुओं के खिलाफ प्रभावी साबित हो सकती है। इनका कहना है कि यूवी-सी का इंस्टॉलेशन कम पैसे में हो सकता है तथा इसका संचालन और रखरखाव आसान होने के साथ वायरस की प्रभावशीलता को मापना सरल है।

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