विश्व हिन्दू परिषद विश्व में रहने वाले हिन्दुओं का एक सामाजिक, सांस्कृतिक संगठन है इसकी स्थापना देश के सभी संप्रदाय के पूज्य संतों एवं धर्माचार्यों के आशीर्वाद तथा मार्गदर्शन में विद्वान दार्शनिकों और विचारकों के परामर्श से विक्रम संवत 2021 श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 29 अगस्त सन् 1964 ई को पूज्य स्वामी चिन्मयानंद जी महाराज संस्थापक चिन्मय मिशन की अध्यक्षता में उन्हीं के मुम्बई स्थित आश्रम में सांदीपनी साधनालय में की गई।
एक हजार वर्ष के निरंतर संघर्ष से प्राप्त स्वातंत्र के पश्चात हिन्दू धर्माचार्य यह अनुभव कर रहे थे कि भारत हिन्दू राष्ट्र के रूप में विश्व के समस्त हिन्दुओं के आस्था केन्द्र के रूप में स्थापित हो और विश्व कल्याण के अपने प्रकृति प्रदत्त दायित्व का निर्वाह करे इस उदात्त लक्ष्य के पूर्ति के लिए पूज्य स्वामी चिन्मयानंद जी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में मास्टर तारा सिंह, ज्ञानी भूपेंद्र सिंह अध्यक्ष शिरोमणि अकाली दल , डॉ के एम मुंशी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन सरसंघचालक माधव राव सदाशिव राव गोलवलकर जी (श्री गुरु जी), स्वामी शंकरानन्द सरस्वती, राष्ट्र संत तुकड़ो जी महाराज,वी जी देशपांडे तत्कालीन महामंत्री हिन्दू महासभा, बैरिस्टर एच जी आडवाणी,पद्मश्री के का शास्त्री, श्रीपाद् शास्त्री किंजवड़ेकर, डॉ वी ए वणीकर, प्रिंसीपल महाजन, के जे सोमय्या, राजपाल पुरी, श्री सूद, एवं पोद्दार (नैरोबी), श्री राम कृपलानी,(त्रिनिदाद), धर्मश्री मूलराज खटाऊ, डॉ नरसिंहाचारी आदि 40 से अधिक पूज्य सन्तों एवं विद्वान विचारकों ने चिन्तन किया और संस्था के नाम विश्व हिन्दू परिषद की घोषणा भी इन्ही श्रेष्ठजनों द्वारा की गई।
डॉ के एम मुंशी ने परिषद के उद्देश्यों को रखा और परिषद के संविधान में हिन्दू की परिभाषा लिखी गई कि जो व्यक्ति भारत में विकसित हुए जीवन मूल्यों में आस्था रखता है वह हिन्दू है। इससे भी आगे बढ़कर कहागया कि जो व्यक्ति अपने आपको हिन्दू कहता है, वह हिन्दू है। इस परिभाषा के अंतर्गत वे सब सम्मिलित होजाते हैं,जो अन्य देशों के नागरिक हैं पर स्वयं को हिन्दू कहते हैं और हिन्दू समाज को गतिशील, सक्रिय और सुधरे रुप में प्रतिष्ठित करने हेतु घोष वाक्य दिया गया।
“हिन्दवः सोदराः सर्वे,ना हिंदु पतितो भवेत् मम दीक्षा हिंदू रक्षा,मम मंत्रः समानता ।”
प्रारंभ में राष्ट्रीय, प्रांतीय और स्थानीय स्तर पर सम्मेलन आयोजित किए गए। समर्पित व प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं द्वारा जगह जगह पर इकाइयां बनाई गई। संगठन विस्तार के लिए जन जागरणात्मक, आन्दोलनात्मक और रचनात्मक तीन प्रकार के कार्य किए गए। और आज विश्व हिन्दू परिषद संगठन एक बट वृक्ष की तरह दिखाई देता है। श्री राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण की आधारशिला रख कर सम्पूर्ण विश्व को शांति व सद् भावपूर्ण सन्देश दिया।आज विश्व हिन्दू परिषद का 56 वां स्थापना दिवस कोरोना महासंकट को ध्यान में रखते हुए सभी अपने अपने परिवार के साथ श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव के साथ साथ विश्व हिन्दू परिषद का स्थापना दिवस भी हर्षोल्लास के साथ मनायें।
जन्माष्टमी को विश्व हिन्दू परिषद का 56 वां स्थापना दिवस ।
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