– ठा. बांकेबिहारी सहित प्रमुख मंदिर न खुलने से बिगड रहे आर्थिक हालात
– तीर्थयात्रियों के आवागमन न होने से कई व्यापार हो रहे ठप्प
अरुण यादव की रिपोर्ट
वृंदावन। वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण पिछले करीब 6 माह से वृंदावन के मंदिर न खुलने से हर वर्ग व समाज के लोग परेशानी से जूझ रहे हैं। इनमें से एक तीर्थयात्रियों से सहारे रोजीरोटी चलाने वाले ई- रिक्शा चालक भी आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं।
सरकार ने व्यवसायिक कार्यों सहित अन्य क्षेत्रों में कामकाज करने की छूट दे दी है। परंतु कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण के चलते धर्म नगरी वृंदावन में सुप्रसिद्ध ठा.बांकेबिहारी मंदिर सहित अन्य प्रमुख मंदिरों के पट आम दर्शनार्थियों के लिए आज भी बंद हैं। यही कारण है कि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं का आवागमन पूरी तरह से नहीं हो पा रहा है। ऐसे में श्रद्धालुओं के वृंदावन न आने का खासा असर मंदिरों से जुड़े पुजारी, तीर्थ पुरोहित, पोशाक व्यापारी, पूजन सामग्री विक्रेता, प्रसाद विक्रेता के साथ ई-रिक्शा चालकों पर भी पड़ रहा है।
ई-रिक्शा चालक योगेश, देवेन्द्र और अशोक का कहना है कि मंदिर बंद होने के कारण श्रद्धालुओं के न आने से उनकी रोजी रोटी का संकट गहरा गया है और वे लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। उन्होंने बताया कि करीब 3 महीने तक सम्पूर्ण लॉकडाउन के दौरान उनके ई-रिक्शा की बैटरियां खराब हो गईं जिनको उन्होंने दोबारा से डलवाया है। अब लोकल सवारी मिलती भी है तो 100 से 200 रुपए का ही धंधा होता है, जो ई-रिक्शा की मेंटीनेंस व परिवार चलाने में खर्च हो जाता है। ऐसे में ई-रिक्शा की किस्त भी नहीं निकल पा रही है। इन दिनों उनकी बहुत ही दयनीय स्थिति है। अगर मंदिर जल्द ही नहीं खुले तो उन्हें भूखा ही सोना पड़ेगा।