– सांसद एसपी सिंह ने कहा- क्यों न किए जाएं 24 घंटे पोस्टमॉर्टम
– ब्रिटिश शासनकाल से चली आ रही व्यवस्था में बदलाव पर दिया जोर
आगरा। सांसद एसपी सिंह बघेल ने देशभर में शवों के पोस्टमॉर्टम की ब्रिटिश शासन काल से चली आ रही व्यवस्था के मुद्दे को संसद के पटल पर उठाया है। उन्होंने मोस्टमॉर्टम के समय के कारण आम जनमानस को होने वाली परेशानियों से अगवत कराते हुए पुरानी व्यवस्था में सुधार करते हुए दिन-रात का फर्क समाप्त कर 24 घंटे पोस्टमॉर्टम किए जाने की व्यवस्था लागू करने का आगृह किया है।
सांसद एसपी सिंह बघेल ने बताया कि पोस्टमॉर्टम के समय और उससे होने वाली समस्याओं को नियम 377 के तहत संसद के पटल पर उठाया। जिसमें उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के पुलिस कानूनों एवं परंपराओं के अनुसार हत्या ,दुर्घटना, दैवीय आपदा और संदिग्धावस्था में मौत के मामले में मृतक का पोस्टमार्टम अनिवार्य होता है। देश के अधिकांश राज्यों में यह नियम है कि यदि मृतक का शव और उससे संबंधित कागजात पांच बजे तक पोस्टमार्टम स्थल तक पहुंच जाते हैं तो पोस्टमॉर्टम उसी दिन होता है। अन्यथा दूसरे दिन होता है।
उन्होंने कहा कि रात में समान्यता पोस्टमार्टम नहीं होता। यदि संबंधित जिले के जिलाधिकारी चाहे तो परिस्थिति अनुसार या परिवार वालों के निवेदन पर पुलिस द्वारा अनापत्ति प्रदान के बाद अपनी शक्तियों का उपयोग करके वह सीएमओ को उचित कृत्रिम प्रकाश व्यवस्था की उपलब्धता होने पर रात्रि के पोस्टमार्टम की अनुमति प्रदान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह बड़े आश्चर्य की बात है कि जहां रात्रि में गंभीर बीमारियां जैसे न्यूरो सर्जरी आदि को सफलता पूर्ण किया जाता है। किंतु, उसी तरह ही पोस्टमार्टम को बिना रात दिन के फर्क किए किया जा सकता है। आज के इस वैज्ञानिक दौर में रात के समय में क्रिकेट ,फुटबॉल खेलों का आयोजन इतने बड़े मैदान में हो सकता है तो पोस्टमार्टम क्यों नहीं।
सांसद ने सरकार से आगृह किया है कि जनहित में पुरानी व्यवस्था को समाप्त कर रात दिन का फर्क किए बिना पोस्टमार्टम व्यवस्था 24 घंटे उपलब्ध कराई जाए। जिससे मृतक के परिवारजनों की होने वाली समस्याओं को राहत मिल सके।