कहते हैं कि इंसान का दिमाग सीपीयू की तरह होता है। जिसके बिना हमारा कोई भी काम पूरा नहीं होता है। हाथों की उंगलियां हिलाने से लेकर चलने तक हमारा ब्रेन ही शरीर के हर अंग को गाइड करता है। दिमाग में थोड़ी सी भी तकलीफ हमारे शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है, इसलिए डॉक्टर्स भी दिमाग को लेकर बहुत ज्यादा अलर्ट रहते हैं। हाल ही में नीदरलैंड में कैंसर संस्थान के ऑन्कोलॉजिस्टों ने मानव के दिमाग में एक ऐसी चीज देखी जिससे उनकी आंखें खुली की खुली रह गई। दरअसल, डॉक्टर्स ने 10 मरीजों की खोपड़ी को स्कैन किया। जिसमें उन्हें प्रत्येक रोगी के सिर में दो क्षेत्र अप्रत्याशित रुप से दिखे। इसे देखकर डॉक्टर्स को लगा कि उन्हेंने मानव शरीर में एक नए अंग की खोज की है।
डॉक्टर्स को शरीर में ऐसे मिला नया अंग
नीदर लैंड के कैंसर संस्थान में नए-नए शोध चलते रहते हैं। उन्ही में से एक था इन 100 लोागें के दिमाग को स्कैन करना। स्कैन के दौरान इन लोगों के दिमाग की समानता और असमनता को देखना था। इस दौरान जब सभी लोगों का बारी-बारी से स्कैन किया तो डॉक्टर्स ने भी सभी के ब्रेन में एक कॉमन चीज नोटिस की। रोडियोथेरेपी ओर ऑन्कोलॉजी ने बताया कि ये लार ग्रंथियों का एक सेट है। मुख्य रुप से श्लेष्म गं्रथियों के साथ कई जल निकासी नलिकाएं – नासोफरीनक्स के पीछे स्थित है। टीम ने एम्स्टर्डम यूएमवी में सहकर्मियों के साथ खोज की पुष्टि की है। मानव के दिमाग में एक नया अंग विकसित हुआ है। जिसका नाम ट़्यूबरियल ग्लेंड्स रखा गया है।
शरीर के लिए घातक हो सकती है ये ग्रंथी
दिमाग में एन प्रकार की ग्रंथी की खोज के बाद ऑन्कोलॉजिस्ट ने 723 रोगियों की जांच की, जो रेडिएशन थेरेपी से गुजरे हैं। उन्होंने पता लगाया कि ट्यूबरियल ग्रंथियां जितनी ज्यादा रेडिएशन के संपर्क में आती है, उतनी ही परेशानी ट्रीटमेंट के बाद होती है।
डॉक्टर्स का कहना है कि इससे मरीजों को खाने, निगलने, बोलने में परेशानी हो सकती है जो कि किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत ही मुश्किल हो सकता है। इसके लिए डॉक्टर ने कहा कि हमारा अगला कदम यह पता लगाना है कि इन नई ग्रंथियों और किस रोगियों में सबसे अच्छा स्पेयर कर सकते हैं। अगर हम ऐसा कर सकते हैं तो रोगियों को ट्रीटमेंट के बाद इसके साइड इफेक्ट से बचाया जा सकता है।