- दुबई और मुंबई से आकर 1000 से अधिक लोग होंगे मेला में शामिल
- 24 को कंस टीले पर मनाया जाएगा कंस वध मेला
मथुरा। मथुरा के सुप्रसिद्ध कंस वध मेला की तैयारियां चतुर्वेदी समाज द्वारा जोरों से की जा रही है। रविवार को गोपाष्टमी पर समाज क लोगों ने घरों पर लट्ठों का पूजन किया। 24 नवंबर को कंस टीले पर होने वाले कंस वध के लिए लट्ठ तैयार किए जा रहे हैं। इस मेला में शामिल होने के लिए देश के विभिन्न राज्यों से ही नहीं विदेशों से भी चतुर्वेदी समाज के लोग आ रहे हैं।
दुनियाभर में लट़्ठ यानी लाठी को मारने-पीटने के लिए प्रयोग किया जाता है । उसी लाठी से आज भी कंस वध करने से पहले उसे पूजा जाता है। जी हां मथुरा में चतुर्वेदी समाज द्वारा यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। रविवार को गोपाष्टमी के शुभ अवसर पर चतुर्वेदी समाज के लोगों के द्वारा लट्ठों का पूजन किया गया।
चतुर्वेद समाज के चिंताहरण चतुर्वेदी ने बताया कि चतुर्वेदी समाज के लोग लट्ठों से कंस वध के दौरान को झूरते हैं यानी उस पर लट्ठों से प्रहार करते हैं। इसलिए रविवार को चतुर्वेदी समाज के लोगों ने लट्ठों को तैयार किया और उनकी पूजा अर्चना की और उन्हें तेल पिलाया जा रहा है।
दुबई और मुंबई से कंस वध मेला में शामिल होने आ रहे 1000 लोग
चतुर्वेदी समाज के चिंताहरण चतुर्वेदी ने बताया कि चतुर्वेदी समाज में प्रतिवर्ष मनाए जाने वाले कंस वध मेला का विशेष महत्व है। इस मेला में शामिल होने के लिए न सिर्फ देश से बल्कि विदेशों से भी सैकड़ों लोग आते हैं। इस बार भी दुबई और मुंबई में रहकर कार्य कर रहे चतुर्वेदी समाज के करीब 1000 लोग इस मेला में शामिल होने के लिए आ रहे हैं।
भगवान कृष्ण बलराम ने की गोचारण लीला
चार दिवसीय श्रीकृष्ण मेला के अन्तर्गत रविवार को चतुर्वेदी समाज द्वारा गोपाष्टमी पर्व मनाया गया। जिसमें विश्राम घाट पर सुबह भगवान श्रीकृष्ण की लीला का आयोजन किया गया। इसमें भगवान कृष्ण और बलराम के स्वरुपों का चतुर्वेदी समाज द्वारा पूजन किया गया। इसके पश्चात शाम चार बजे भीकचद्र सेठ की गली से गोपाल बाग भगवान कृष्ण बलराम के स्वरुप गाय चराने के लिए गए लेकिन इस बार पिछले वर्षों की तरह गोचारण लीला की सवारी नहीं निकाली गई। भगवान के स्वरुप और उनके साथ कुछ समाज के लोग कोविड-19 की गाइड लाइन का पालन करते चल रहे थे। गोपाल बाग में गोचारण लीला का मंचन किया गया।