साल 2020 का आखिरी चंद्र ग्रहण सोमवार, 30 नवंबर को लगने जा रहा है। यह एक उपछाया चंद्र ग्रहण होगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार यह ग्रहण वृषभ राशि और रोहिणी नक्षत्र में होगा। लेकिन यह भारत में दिखाई नहीं देगा। यह ऐसा चन्द्र ग्रहण होगा जिसका प्रभाव लगभग 15 दिसंबर तक बना रहेगा।
आचार्य कमलेश पाण्डेय का कहना है कि यह ग्रहण चंद्रमा का उपछाया ग्रहण है, इसलिए इसमें सूतक काल मान्य नहीं होता है। सूतक काल चंद्र ग्रहण के लगने से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। बिना सूतक वाले ग्रहण काल का प्रभाव ज्यादा नहीं होता है। चंद्र ग्रहण के शुरू होने से पहले चंद्रमा धरती की उपछाया में प्रवेश करता है। जब चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश किए बिना ही बाहर निकल आता है तो उसे उपछाया ग्रहण कहते हैं। चंद्रमा जब धरती की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है, तभी उसे पूर्ण रूप से चंद्रग्रहण माना जाता है।
उन्होंने बताया कि चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले लगने वाले सूतक काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। सूतक काल में पूजा-पाठ भी नहीं किया जाता है। इस दौरान मंदिर के कपाट भी बंद रहते हैं। कहते हैं कि गर्भवती महिलाओं को सूतक काल में छोंक, तड़का, धारदार और नुकीली वस्तुओं से दूर रहना चाहिए। सूर्य ग्रहण में सूतक काल 12 घंटे का होता है।
कहां दिखेगा चंद्र ग्रहण
रिपोट्र्स की मानें तो 30 नवंबर को लगने वाला चंद्र ग्रहण यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, नॉर्थ अमेरिका, साउथ अमेरिका, प्रशांत और अटलांटिक महासागर के अलावा एशिया के कुछ हिस्सों में ही दिखाई देगा। भारत में ये नजर नहीं आएगा।
चंद्रग्रहण की तिथि और समय
ये ग्रहण 30 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 4 मिनट से आरंभ होगा और 30 नवंबर को शाम 5 बजकर 22 मिनट पर समाप्त हो जाएगा।