नरेन्द्र सिंघल की रिपोर्ट
छाता। जहां एक तरफ प्रदेश की योगी सरकार बृज के धार्मिक स्थलों को पर्यटन हब बनाने का दावा कर रही है। वहीं छाता के वार्ड संख्या 2 में स्थित प्राचीन चन्द्र कुण्ड स्थानीय प्रशासन की अनदेखी के कारण बदहाल है।पौराणिक महत्व वाला यह कुण्ड अतिक्रमण से घिर गया है। कुण्ड का पानी दूषित हो गया है। जिससे आचमन तो दूर स्नान भी संभव नहीं है। कुण्ड की इस दुर्दशा से भक्तों की धार्मिक आस्था को ठेस पहुंच रही है।
छाता नगर पंचायत के तीन साल बीत जाने के बाद भी नगर क्षेत्र और यहां के पौराणिक महत्व के चन्द्र कुण्ड की स्थिति बदतर होती गई है। स्थानीय लोग और पंचायत अध्यक्ष के अनुसार बीते करीब एक वर्ष इस कुण्ड का जीर्णोद्धार करोड़ो रुपयों की लागत से पर्यटन विभाग द्वारा कराया गया था। यह चंद्र कुण्ड छाता नगर पंचायत क्षेत्र का सबसे प्राचीन और पौराणिक महत्व का कुण्ड है।
प्राचीन चन्द्र कुण्ड की मान्यता है कि आज से साढे पांच हजार साल पहले द्वापर युग में वर्तमान छाता क्षेत्र के कुण्ड वाले स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी अगुंली पर चन्द्रमा को धारण किया था। तभी से इस कुण्ड का नाम चन्द्र कुण्ड हो गया।
छाता नगर पंचायत के वार्ड संख्या दो में स्थापित इस कुण्ड की ओर से नगर पंचायत और संबंधित अधिकारियों ने पीठ कर ली है। यही कारण है कि इस प्राचीन कुण्ड के चारों ओर अतिक्रमण हो गया है। कुण्ड का पानी दूषित एवं जहरीला हो गया है। चन्द्र कुण्ड के जीर्णोद्धार में घटिया सामग्री का प्रयोग होने के कारण की सीढ़ियों के पत्थर उखड़ने लगे है। कुण्ड में व्याप्त गंदगी और चारों तरफ लगे कूड़े के ढेर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन अभियान को मुंह चिढा रहे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है नगर पंचायत प्रशासन के द्वारा इस कुंड की देखरेख की जाती है। लेकिन लंबे समय से इस कुण्ड की बदहाल है। इस ओर पंचायत अध्यक्ष सहित प्रशासन का कोई ध्यान नही है। पंचायत अध्यक्ष बॉबी जादौन ने बताया गया कि कई बार कुण्ड के अन्य निर्माण के लिए पर्यटन विभाग से कहा गया है। लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हो रही है।