Tuesday, April 22, 2025
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मथुरा में करोड़ों के छात्रवृत्ति घोटाले में जिला समाज कल्याण अधिकारी निलंबित

  • कई बड़े अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ होगी एफआईआर
  • 23 करोड़ रुपये की अनियमितता, गबन की हुई है पुष्टि
  • भ्रष्टाचार में शामिल कई संस्थाआें के खिलाफ होगी एफआईआर

मथुरा। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मथुरा जनपद में करोड़ों रुपए के छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में जिले के समाज कल्याण अधिकारी करुणेश त्रिपाठी को निलंबित कर दिया है। इस घोटाले में संलिप्त अन्य अधिकारियंों और संस्थाआें के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। सीएम की इस सख्त कार्रवाई से मथुरा से लेकर लखनऊ तक हड़कंप मचा है।

जिले के निजी आईटीआई संस्थानों में छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति में अनियमितता, भ्रष्टाचार और गबन के चर्चित मामले में भ्रष्टाचार के दोषी पाए गए सभी अधिकारियों व कर्मचारियों के अलावा सम्बधित संस्थाओं के खिलाफ एफआईआर कराई जाएगी। आईटीआई कॉलेजों को शुल्क प्रतिपूर्ति और छात्रवृत्ति के लिए ब्लैक लिस्ट किया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस कार्रवाई की जानकारी बुधवार को मुख्यमंत्री कार्यालय ने ट्वीट करके दी है।


मथुरा जिले के चार दर्जन से अधिक निजी आईटीआई कॉलेजों में हुए इस गड़बड़झाले के मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर जांच कराई गई थी।जांच समिति ने अलग-अलग तरीकों से छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति के नाम पर करीब 23 करोड़ रुपये गबन होने की बात पाई है। यही नहीं, दर्जन भर अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत की पुष्टि भी हुई है।अब सीएम योगी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस की नीति के अनुरूप सभी दोषी अधिकारियों, कर्मचारियों व संस्थाओं के खिलाफ एफआईआर कराने के आदेश दिए हैं। जिला समाज कल्याण अधिकारी करुणेश त्रिपाठी को निलंबित करते हुए उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं।

मान्यताविहीन संस्थाओं में दाखिला लेने वाले छात्रों को परीक्षा में सम्मिलित करने के लिए स्टेट काउंसिल फ़ॉर वोकेशनल ट्रेनिंग, लखनऊ की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है, अब इनके खिलाफ भी जांच होगी। वही समाज कल्याण विभाग अधिकारी करौली त्रिपाठी के मामले में जनपदीय अधिकारियों ने निलंबन की जानकारी देने में चुप्पी साध ली है लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि मुख्य विकास भवन की नाक के नीचे इतना बड़ा घोटाला होता रहा और उच्च अधिकारी सोते रहे।

तीन सदस्यीय जांच समिति ने पाया कि 11 मान्यताविहीन शिक्षण संस्थानों में करीब 253.29 लाख का गबन हुआ, जबकि 23 कॉलेजों में पांच हजार से अधिक छात्रों ने कोर्स ही पूरा नहीं किया और उन्हें करीब 969 लाख की छात्रवृत्ति मिल गई। कई निजी आईटीआई कॉलेजों में स्वीकृत सीट के सापेक्ष करीब पांच हजार दाखिले अतिरिक्त कर लिए गए। इन्हें भी छात्रवृत्ति दिलाई गई। वहीं, 38 कॉलेजों में 100 से अधिक समान नाम, पिता का नाम और समान जन्म तिथि वाले फर्जी छात्रों को भी शुल्क प्रतिपूर्ति कराई गई। यही नहीं फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर भी छात्रों के दाखिले करने और उन्हें छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति कराने का काम भी हुआ। सीएम योगी ने अब सभी दोषियों के खिलाफ एफआईआर करने के आदेश दिए हैं।

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