Saturday, September 21, 2024
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सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र को लगाई फटकार, कहा- कृषि कानूनों को अच्छा बताने वाली एक भी अर्जी नहीं

नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन 47 वें दिन भी जारी है। वहीं सरकार के साथ वार्ता के बावजूद कोई समाधान निकलता नहीं दिख रहा है। जहां किसान कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं तो वहीं दूसरी तरफ केन्द्र सरकार भी किसानों की इस मांग को मानने को राजी नही है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केन्द्र सरकार को फटकार लगाई और कहा कि नए कृषि कानूनों पर केंद्र और किसानों के बीच जिस तरह से बातचीत चल रही है, उससे वह बेहद निराश हैं।

मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र से कहा, “क्या चल रहा है? राज्य आपके कानूनों के खिलाफ विद्रोह कर रहे हैं। हम बातचीत की प्रक्रिया से बेहद निराश हैं”। जस्टिस ए एस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यन वाली पीठ ने कहा, “हम आपकी वार्ताओं पर कोई भटकाव नहीं चाहते हैं, लेकिन हम इस प्रक्रिया से बेहद निराश हैं।”

नए कृषि कानूनों के साथ-साथ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन से जुड़े मुद्दों को सुन रही शीर्ष अदालत ने कहा कि फिलहाल इन कृषि कानूनों को निरस्त करने की बात नहीं की जा रही है। पीठ ने कहा, “यह एक बहुत ही नाजुक स्थिति है।” पीठ ने कहा, “हमारे सामने एक भी याचिका नहीं है जो कहती है कि ये कृषि कानून फायदेमंद हैं”।

चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने किसानों से कहा कि हम कृषि कानून लागू नहीं होने देंगे। आप आंदोलन जारी रख सकते हैं, लेकिन सवाल ये है कि क्या प्रदर्शन वहीं चलेगा, जहां अभी हो रहा है?
चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर सरकार ने कृषि कानूनों पर रोक नहीं लगाई, तो हम रोक लगा देंगे। सरकार जिस तरह से इस मामले को ले रही है, उससे हम निराश हैं। उन्होंने कहा कि हमें नहीं पता कि सरकार की किसानों से क्या बातचीत चल रही है। क्या कृषि कानून कुछ समय के लिए रोके नहीं जा सकते?

चीफ जस्टिस ने कहा कि इन दिनों में कई किसानों की मौत हो चुकी है और कई आत्महत्या भी कर चुके हैं। बुजुर्ग और महिलाएं आंदोलन में शामिल हैं। आखिर चल क्या रहा है? कृषि कानूनों को अच्छा बताने वाली एक भी अर्जी नहीं आई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कुछ गलत हुआ तो हम सभी जिम्मेदार होंगे। हम नहीं चाहते कि किसी तरह के खूनखराबे का कलंक हम पर लगे। इसके लिए केंद्र सरकार को पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। आप कानून ला रहे हैं, इसलिए आप ही बेहतर समझते हैं।

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