वृंदावन। प्रत्येक 12 वर्ष के अन्तराल में हरिद्वार कुंभ से ठीक पहले वृंदावन में लगने वाले वैष्णव कुंभ मेला सजने लगा है। कुंभ मेला स्थल पूरी संत, महंत और वैष्णव जनो के लिए पूरी तरह तैयार है। संतजन अपने अपने अखाड़ों के खालसान यानि शिविर लगाने लगे हैं। वहीं पुलिस प्रशासन ने भी दस चौकी और दो थाने स्थापित किए हैं।
चतु: सम्प्रदाय के महंत फूलडोल बिहारी दास ने बताया कि तीन अनि और इनके 18 अखाड़ों के संत महंतों को प्लॉट अखाड़ा परिषद द्वारा प्रशासन के सहयोग से दिए जा रहे हैं। देशभर में करीब 800 वैष्णव संत, महंतों के खालसा हैं। इनमें से करीब 200 खालसा वृंदावन में कुंभ में लगेंगे। इन खालसा यानि शिविरों में वैष्णव संत महंत कुंभ के 40 दिनों तक यमुना तट पर कुंभ स्थल में रहकर साधना करेंगे। वहीं देशभर के वैष्णवजन कुंभ मेला में आकर संत महंतों के दर्शन और सानिध्य का लाभ ले सकेंगे।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद बृज मंडल के अध्यक्ष हरिशंकर दास नागा ने बताया कि 16 फरवरी से 25 फरवरी तक वृंदावन कुंभ मेला का आयोजन किया जाएगा। जिसमें वैष्णव संतजन अपने-अपने खालसा लगाकर यमुना तट पर साधना करेंगे। इसके बाद हरिद्वार में लगने वाले कुंभ के लिए प्रस्थान करेंगे। कुुंभ का शुभारंभ 16 फरवरी को भव्य पेशवाई यानि शोभायात्रा के साथ होगा। इस सवारी में सभी वैष्णव संत महंत नगर भ्रमण करते हुए कुंभ मेला स्थल पहुंचेंगे। यहां यमुना पूजन विधिविधान पूर्वक किया जाएगा। इस कुंभ मेला की विशेष बात यह है कि देशभर में पहला ऐसा कुंभ है जिसका आयोजन यमुना तट पर ब्रज में होता है। यह कुंभ वैष्णव संत महंतों का है। इस कुंभ में देशभर से लाखों संत महंत आएंगे। कुंभ का यह आयोजन 40 दिन तक होगा।
वृंदावन कुंभ मेला की व्यवस्थाओं को अब अंतिम रूप दिया जाने लगा है । मेला क्षेत्र में अस्थायी पुलिस लाइन शवदाह गृह के निकट बनाई जा रही है। संपूर्ण मेला क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था के लिए दो थाना और 10 चौकियों का निर्माण किया जा रहा है। तीर्थनगरी में यह धार्मिक आयोजन 16 फरवरी से 25 मार्च चलेगा। इसमें देशभर से हजारों संत-श्रद्धालु जुटेंगे।
सात अखाड़े रामोपासना व ग्यारह अखाड़े श्यामोपासना प्रधान हैं। इन अखाड़ों से जुड़े निम्बार्क, श्रीमाध्वगोडिय, रामानन्दी, रामानुजी, वल्लभकुली संप्रदाय में वैष्णव उपासना पद्धति को प्रधानता दी गई है। जो सहजयोग से प्रभु को रिझाने में विश्वास करते हैं। लेकिन यमुनातट पर हठयोगियों की साधना का साक्षात्कार भी श्रद्धालुओं को होता है। मान्यता है कि हठ योगी एकांत स्थान को अपनी साधना स्थली के रूप में चयनित करते हैं, लेकिन यमुनातट पर साधना का पुण्य अवसर उन्हें भी आकर्षित करता है।
ब्रजविदेही चतु:संप्रदायी श्रीमहंत रासविहारी दास काठिया बाबा ने बताया कि यह उनके लिए चौथा वृंदावन कुंभ मेला है, जिसकी ध्वजा लेकर वह आश्रम से जाएंगे। इससे पहले इस आश्रम की गुरु परंपरा इसे निभाती आ रही है। महंत रासविहारी दास ने बताया कि बसंत पंचमी के दिन कुंभ मेला बैठक की ध्वजा भव्य शोभायात्रा के साथ नगर भ्रमण करते हुए मेला स्थल पहुंचेगी। इसमें दो हाथी, 11 घोड़े और चार ऊंटों की भी सवारी होंगी।
ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ नगेन्द्र प्रताप ने बताया कि वृंदावन कुंभ की तैयारियां पूर्णता की ओर है। इस बार वृंदावन कुंभ पिछले कुंभों से विशेष और वृहद होगा। स्थाई और अस्थाई घाट बनाए जा रहे हैं। पोंटून पुल बनकर तैयार हो गया है। कुंभ स्थल में मार्ग और विद्युत व्यवस्था के साथ इस बार कुंभ में लगने वाले शिविरों में गंगाजल की पेयजल आपूर्ति की जाएगी। इसके अलावा कुंभ के आयोजन के 40 दिनों तक वाहन पार्किंग निशुल्क होगी।