Sunday, November 24, 2024
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राज्य सभा में बोले पीएम मोदी- एमएसपी है, एसएसपी था और एमएसपी रहेगा

नई दिल्ली। सोमवार को देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यसभा को संबोधित किया। संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा के जवाब में प्रधानमंत्री ने अपनी बात रखी। प्रधानमंत्री ने शुरुआत वैश्विक चुनौतियों से की। उन्होंने कहा कि हाल ही में विश्व ने कई चुनौतियों का सामना किया है। पूरा विश्व अनेक चुनौतियों से जूझ रहा है। शायद ही किसी ने सोचा होगा कि मानव जाति को ऐसे कठिन दौर से गुजरना होगा, ऐसी चुनौतियों के बीच।


प्रधानमंत्री ने कहा कि जब कोरोना महामारी फैली तो भारत के बारे में विश्व समुदाय और वैज्ञानिकों ने कई आशंकाएं जताई थी, लेकिन भारत ने इस महामारी से डटकर मुकाबला किया। इसका श्रेय किसी सरकार, किसी व्यक्ति को नहीं जाता है, बल्कि भारत की जनता को जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे समय में भी किसी झोपड़ी में बैठकर दीपक जलाने वाली बूढ़ी महिला द्वारा दीपक जलाने का कुछ लोगों ने मजाक उड़ाया था। कोरोना काल में लोगों को एकजुट करने का प्रयास करना था, ऐसे समय में कुछ लोग राजनीति कर रहे थे।

पहले की सरकारों की सोच में छोटा किसान था क्या?

प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले की सरकारों की सोच में छोटा किसान था क्या? जब हम चुनाव आते ही एक कार्यक्रम करते हैं कर्जमाफी, ये वोट का कार्यक्रम है या कर्जमाफी का ये हिन्दुस्तान का नागरिक भली भांति जानता है। लेकिन जब कर्जमाफी करते हैं तो छोटा किसान उससे वंचित रहता है, उसके नसीब में कुछ नहीं आता है। पहले की फसल बीमा योजना भी छोटे किसानों को नसीब ही नहीं होती थी। यूरिया के लिए भी छोटे किसानों को रात-रात भर लाइन में खड़े रहना पड़ता था, उस पर डंडे चलते थे। पीएम किसान सम्मान निधि योजना से सीधे किसान के खाते में मदद पहुंच रही है। 10 करोड़ ऐसे किसान परिवार हैं जिनको इसका लाभ मिल गया। अब तक 1 लाख 15 हजार करोड़ रुपये उनके खाते में भेजे गये हैं। इसमें अधिकतर छोटे किसान हैं। अगर बंगाल में राजनीति आड़े नहीं आती, तो ये आंकड़ा उससे भी ज्यादा होता।

फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ाया

प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 के बाद हमने कुछ परिवर्तन किया, हमने फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा दिया ताकि किसान, छोटा किसान भी उसका फायदा ले सके। पिछले 4-5 साल में फसल बीमा योजना के तहत 90 हजार करोड़ रुपये के क्लेम किसानों को दिए गए है। पहली बार हमने किसान रेल की कल्पना की। छोटा किसान जिसका सामान बिकता नहीं था, आज गांव का छोटा किसान किसान रेल के माध्यम से मुंबई के बाजार में अपना सामान बेचने लगा, इससे छोटे किसान को फायदा हो रहा है। पहली बार हमने किसान रेल की कल्पना की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि छोटा किसान जिसका सामान बिकता नहीं था, आज गांव का छोटा किसान किसान रेल के माध्यम से मुंबई के बाजार में अपना सामान बेचने लगा, इससे छोटे किसान को फायदा हो रहा है। ‘किसान उड़ान’ के द्वारा हवाई जहाज से जैसे हमारे नार्थ ईस्ट की कितनी बढ़िया-बढ़िया चीजें जो ट्रांसपोर्ट सिस्टम के अभाव में वहां का किसान लाभ नहीं उठा पाता था, आज उसे किसान उड़ान योजना का लाभ मिल रहा है।

एमएसपी है, एसएसपी था और एमएसपी रहेगा

प्रधानमंत्री ने कहा कि हर कानून में अच्छे सुझावों के बाद कुछ समय के बाद बदलाव होते हैं। इसलिए अच्छा करने के लिए अच्छे सुझावों के साथ, अच्छे सुधारों की तैयारी के साथ हमें आगे बढ़ना होगा। मैं आप सभी को निमंत्रण देता हूं कि हम देश को आगे बढ़ाने के लिए, कृषि क्षेत्र के विकास के लिए, आंदोलनकारियों को समझाते हुए, हमें देश को आगे ले जाना होगा। हमें एक बार देखना चाहिए कि कृषि परिवर्तन से बदलाव होता है कि नहीं। कोई कमी हो तो उसे ठीक करेंगे, कोई ढिलाई हो तो उसे कसेंगे। मैं विश्वास दिलाता हूं कि मंडियां और अधिक आधुनिक बनेंगी। एमएसपी है, एसएसपी था और एमएसपी रहेगा। इस सदन की पवित्रता समझे हम। जिन 80 करोड़ लोगों को सस्ते में राशन दिया जाता है वो भी लगातार रहेगा।

भारत में चार लाख करोड़ का पेमेंट डिजिटली हो रहा

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में चार लाख करोड़ का पेमेंट डिजिटली हो रहा है। भारत मोबाइल फोन निर्माता के रूप में दुनिया का दूसरा देश बना है। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारत ने जगह बनाई है। भारत अपने सामर्थ के साथ खड़ा है। अंतरिक्ष हो, एयर स्ट्राइक हो या सर्जिकल स्ट्राइक हो सबने भारत की प्रतिभा को देखा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब सबसे पहले बार प्रधानमंत्री के रूप में साल 2014 में मैंने इस सदन में भाषण दिया था, जब मैंने कहा था कि हमारा लक्ष्य गरीबों का उद्धार करना है और आज भी हमारे लक्ष्य में गरीब का उद्धार है। हम अपने लक्ष्य से 6 साल बाद भी भटके नहीं है। पीएम मोदी ने इस दौरान अपनी सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का वर्णन किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष पर तंज करते हुए कहा कि सदन में बहस के दौरान किसान आंदोलन पर बात की, लेकिन मूलभूत बात पर विपक्ष के किसी सदस्य ने अपनी बात नहीं रखी। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में छोटे किसानों पर पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की बात का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि छोटो किसानों का कम जमीन में गुजारा नहीं हो पा रहा है। देश में ऐसे किसानों की संख्या लगातार बढ़ रही है। देश में छोटे किसानों संख्या तेजी से बढ़ते हुए 12 करोड़ तक पहुंच गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि क्या हमें देश के छोटे किसानों के बारे में नहीं सोचना चाहिए। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह भी यह सवाल उठाकर गए हैं, जिसका जवाब हमें जरूर देना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कर्जमाफी योजना का लाभ किसानों को कितना मिलता है, ये सभी जानते हैं कि कर्ज माफी किसानों की भलाई के लिए हैं या वोट बैंक के लिए है।

ऐसे में जब नए कृषि कानूनों को लेकर विपक्ष लगातार केंद्र सरकार का खिलाफ हमला बोल रहा है और किसान संगठन तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे हैं, तब सब यह जानना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आखिर अपने भाषण में क्या कहेंगे। सूत्रों के मुताबिक कृषि कानूनों पर सरकार फिर सख्त रूख अपना सकती है और किसान आंदोलन पर सियासत करने वाले विरोधी दलों को प्रधानमंत्री कड़ी नसीहत दे सकते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि लोकतंत्र को लेकर यहां काफी उपदेश दिए गए हैं। लेकिन मैं नहीं मानता हूं कि जो बातें यहां बताई गईं हैं, उसमें देश का कोई भी नागरिक भरोसा करेगा। भारत का लोकतंत्र ऐसा नहीं है कि जिसकी खाल हम इस तरह से उधेड़ सकते हैं। इस कोरोना काल में भारत ने वैश्विक संबंधों में एक विशिष्ट स्थान बनाया है, वैसे ही भारत ने हमारे फेडरल स्ट्रक्चर को इस कोरोना काल में, हमारी अंतर्भूत ताकत क्या है, संकट के समय हम कैसे मिलकर काम कर सकते हैं, ये केंद्र और रज्य सरकार ने मिलकर कर दिखाया है।

भारत के राष्ट्रवाद पर चौतरफा हो रहे हमले

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत के राष्ट्रवाद पर चौतरफा हो रहे हमले से आगाह करना जरूरी है। भारत का राष्ट्रवाद न तो संकीर्ण है, न स्वार्थी है, न आक्रामक है। ये सत्यम, शिवम, सुंदरम मूलों से प्रेरित है।” ये वक्तव्य आजाद हिंद फौज की प्रथम सरकार के प्रथम प्रधानमंत्री नेताजी का है। “हमारा लोकतंत्र किसी भी मायने में वेस्टर्न इंस्टीट्यूशन नहीं है। ये एक ह्यूमन इंस्टीट्यूशन है। भारत का इतिहास लोकतांत्रिक संस्थानों के उदाहरणों से भरा पड़ा है। प्राचीन भारत में 81 गणतंत्रों का वर्णन मिलता है।

दुर्भाग्य है कि नेताजी की भावना को, उनके आदर्शों को भुला दिया

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुर्भाग्य है कि जाने-अनजाने में हमने नेताजी की भावना को, उनके आदर्शों को भुला दिया है। उसका परिणाम है कि आज हम ही, खुद को कोसने लगे हैं। हमने अपनी युवा पीढ़ी को सिखाया नहीं कि ये देश लोकतंत्र की जननी है। हमें ये बात नई पीढ़ी को सिखानी है। चुनौतियां तो हैं। लेकिन हमें तय करना है कि हम समस्या का हिस्सा बनना चाहते हैं या समाधान का माध्यम बनना चाहते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जल, थल, नभ, अंतरिक्ष भारत हर क्षेत्र में अपनी रक्षा के लिए अपने सामथ्र्य के साथ खड़ा है। सर्जिकल स्ट्राइक हो या एयर स्ट्राइक भारत की कैपेबिलिटी को दुनिया ने देखा है। सदन में किसान आंदोलन की भरपूर चर्चा हुई है। ज्यादा से ज्यादा समय जो बात बताई गईं वो आंदोलन के संबंध में बताई गई। किस बात को लेकर आंदोलन है उस पर सब मौन रहे। जो मूलभूत बात है, अच्छा होता कि उस पर भी चर्चा होती। खेती की मूलभूत समस्या क्या है, उसकी जड़ कहां है। मैं आज पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण जी की बात बताना चाहता हूं। वो छोटे किसानों की दयनीय स्थिति पर हमेशा चिंता करते थे।

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