बरसाना। विश्वप्रसिद्ध बरसाना की होली का शुभारंभ लाड़ली मंदिर यानि राधारानी के मंदिर से हुआ। मंदिर में होली के धमार गायन के बीच राधारानी को रंगबिरंगा गुलाल सेवित किया गया। मंदिर के गोस्वामियों द्वारा प्रसाद गुलाल भक्तों पर बरसाया गया। इसी के साथ ही 40 दिवसीय बृज की होली का उल्लास छाने लगा है।
’’ललित लवंग लता परि शीलन कोमल मलय समीरे, मधुकर निकर कंरवित कोकिल कूजित कुटीरै,, के पदों के साथ मंगलवार को ब्रज की अनूठी होली का शुभारम्भ बृषभान नन्दनी के चरणों में गुलाल अर्पित करके हो गया। विश्व प्रसिद्ध लाड़ली मन्दिर यानि राधारानी मंदिर में सेवायत गोस्वामीजनों द्वारा होली के प्रतीक के रूप में डाढ़ा गाढ़ा गया।
बसंती फूलों के बंगले में विराजमान होकर श्यामा प्यारी ने अपने श्यामसुन्दर के साथ बसंती वस्त्र धारण कराए गए। इस मौके पर प्रिया प्रियतम को बसंती छप्पन भोग भी लगाया गया। इसके बाद गोस्वामी समाज द्वारा सयुक्त रूप से होली के पदों का गुणगान करते हुए एक दूसरे को गुलाल लगाते हुए ब्रज में फाग महोत्सव की शुरुआत की।
बृज की 40 दिवसीय होली के पहले दिन श्रीजी मंदिर बसंती रंग में रंगा नजर आ रहा था, तो वहीं श्रद्धालु भी बसंत के रंग में रंगने को आतुर हो रहे थे। कस्बे में सुबह से ही श्रद्वालुओं का हुजूम उमड़े लगा था। सभी अपनी आराध्य शक्ति राधा रानी के दर्शनों को उतावले नजर आ रहे थे। शाम को करीब साढ़े पांच बजे लाड़ली जी मन्दिर में सेवायत गोस्वामियों द्वारा राधारानी के मुकुट व चूदंरी से सजे ध्वज रूपी (डाढ़े) को गर्भ गृह में विधि विधान से पूजकर रोपा गया। इसके बाद जगमोहन में बने बसंती फूल बगले में राधाकृष्ण के श्रीविग्रह को बसंती वस्त्र धारण कराकर विराजमान कर उनके श्रीचरणों में गुलाल अर्पित किया।
राधारानी के समक्ष होली का डाढ़ा रोपकर उसे स्थापित किया गया। इस दौरान संखी भाव में गोस्वामीजन कहते है कि ’’अब गढ़ गयौ है डाढ़ौ प्रिया रहत तू ठाड़ौ,, तथा ’’रितु बसंत में लसंत मूरति दोऊ बैठे निकसि निकुंज बाग, ललित गुंज मंजुल लतानि पर अलि पुंजनि की सुनि, सुनि गुनि गुनि पुनि पुनि रस को चढ़त पाग,,।
इस दौरान सेवायतों द्वारा छप्पन प्रकार के बसंती व्यंजनों से वृृषभान नन्दनी व माखन चोर श्रीकृष्ण को भोग लगाया गया। पूरे मन्दिर परिसर को बसंती परिधानों से सजाया गया। भगवान राधाकृष्ण की मनोहारी झांकी के दर्शन करके श्रद्वालु अपने आपको कृतार्थ मान रहे थे। पूरा मन्दिर परिसर राधारानी के जयघोषों से गुंजायमान हो गया। इसके बाद उस प्रेम भरी दिव्य होली का आगाज ब्रज मण्डल में शुरू हो जाता है। जिसका ब्रजवासी बेसब्री से सालभर इतंजार करते है।
गोस्वामी समाज द्वारा जयदेव स्वामी के रचित मुख्य पदों के साथ संयुक्त रुप से समाज गायन प्रारम्भ हो गया। ’’विरहरत हरी रिह सरस बसंते नित्यति युवती जनेन सम सखी विरह हीय जनस बसंते, ललित लवंग लता पर शिलन कोमल मलय समीरे मधुकर निकर करवित कोकिल कुजूंत कूजं कूटीरै… ढप, मृदंग, झांझ आदि वाद्य यंत्रों द्वारा पद का गायन किया गया। अबीर गुलाल से गोस्वामी एक दूसरे को लगाना शुरू कर दिया। इसी के साथ श्रद्वालु भी गुलाल रूपी प्रसाद का टीका लगाकर अपने आपको धन्य मान रहे थे। वहीं ’’प्रथम समाज आज वृन्दावन ललित राज आज खेले होरी फाव रहौ मुकुट चद्रिंका ऊपर नवयुवती सब न्यारी ले-ले थार चली युवतीजन… के अदि पदों के साथ सामूूहिक प्रस्तुती की। यह फाग महोत्सव चालीस दिन तक चलेगा जो ब्रज में जगह-जगह होली के रूप में देखने को मिलेगा।
इन तिथियों में होगी बरसाना और नन्दगांव मेें होली
सेवायत नत्थो गोस्वामी ने बताया कि लट्ठामार होली की प्रथम चौपाई महाशिव रात्री व द्वितीय चौपाई लड्डू होली के दिन लाडली जी मन्दिर से लेकर रंगेश्वर माहदेव तक निकाली जायेगी। ध्वज रूपी डाढ़े को दोनो चैपाईयों में आगे लेकर चला जाता है। यहा तक की नन्दगांव की लठमार होली वाले दिन बरसाना के हुरियारे इस डाढ़े को लेकर होली खेलने जाते हैं। ब्रज की अद्भुत लड्डू होली 22 मार्च व लठा्मार होली 23 मार्च को तथा नन्दगांव की लठमार होली 24 मार्च को खेली जायेगी।