वाराणसी। अब वाराणसी में एक अजब पुस्तकालय खुलने जा रहा है। यह पुस्तकालय न सिर्फ बनारस के लिए बल्कि उत्तर प्रदेश के लिए आकर्षण का केंद्र होगा। काबिलेगौर बात यह है कि यह पुस्तकालय किसी विश्वविद्यालय, स्कूल या फिर किसी इमारत में नहीं बल्कि गंगा की गोद में चलता फिरता पुस्तकालय होगा। जी हां, जिला प्रशासन ने बनारस और देश के साहित्य और संस्कृति को जानने के लिए आने वाले सैलानियों के लिए गंगा नदी में नाव पर पुस्तकालय खोलने का निर्णय लिया है।
वाराणसी आयुक्त दीपक अग्रवाल का कहना है कि धर्म व अध्यात्म की नगरी काशी जहां हर दिन बड़ी संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु आते हैं। आने वाले पर्यटक और श्रद्धालु काशी के इतिहास साहित्य और दर्शन को जानने के इच्छुक होते हैं, लेकिन अब उन्हें कहीं भटकने की जरूरत नहीं होगी। गंगा घाट पर ही ज्ञान का केंद्र पर्यटकों के लिए खोला जा रहा है, जिसे वह किताबों के जरिए बड़ी आसानी से हासिल कर पाएंगे।
इस योजना के तहत जिला प्रशासन गंगा नदी में चलने वाले बजड़े यानी कि एक बड़ा नाव पर लाइब्रेरी खोलने जा रहा है। यह लाइब्रेरी गंगा घाटों के किनारे खड़ी रहेगी, जो प्रत्येक दिन घाट किनारे अपना स्थान भी चेंज करेगी. यानी कि ये लाइब्रेरी चलती फिरती लाइब्रेरी होगी।
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Posted by Neo News-Har Pal Ki Khabar on Wednesday, 3 March 2021
पुस्तकालय में इन महान साहित्यकारों की किताबें होंगी
आयुक्त दीपक अग्रवाल के मुताबिक काशी के धर्म और अध्यात्म के साथ-साथ काशी के साहित्य और देश के भी महान लेखकों साहित्यकारों के द्वारा लिखी गई किताब इस लाइब्रेरी में होगी। मुंशी प्रेमचंद से लेकर जयशंकर तक रामचंद्र शुक्ल से लेकर काशीनाथ सिंह तक तमाम साहित्यकारों के किताब भी इस अनोखी लाइब्रेरी में होगी। ये किताबें आने वाले पर्यटक बजट में बैठकर या फिर गंगा घाट किनारे सीढियों पर बैठकर इन किताबों के जरिए देश की साहित्य और संस्कृति के बारे में बड़े ही आसानी से पढ़ सकेंगे। गंगा की गोद में इस अनोखी लाइब्रेरी की योजना जानकर काशीवासी बड़े ही उत्साहित हैं काशी धर्म के साथ-साथ साहित्य की नगरी कही जाती है, जहां बड़े-बड़े साहित्यकारों ने देश दुनिया में अपनी लेखनी से अपना छाप छोड़ा है।