वृंदावन। जीव मात्र के प्रति दया भाव रखना प्रत्येक मनुष्य के लिए परम आवश्यक गुण है, जो कि मनुष्य को जानवरों अलग बनाता है। उक्त विचार स्थानीय कुंभ क्षेत्र स्थित रसिया बाबा नगर में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के द्वितीय दिवस पर व्यास पीठ पर विराजमान भागवत कथा प्रवक्ता रसिया बाबा ने महाभारत के युद्ध के दौरान अश्वत्थामा द्वारा द्रौपदी के सोते हुए पांच पुत्रों की युद्ध के नियम विरुद्ध की गई हत्या के प्रसंग पर बोलते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि जब अश्वत्थामा को सजा देने हेतु मृत्यु दण्ड देने की बात हुई, तब द्रौपदी ने दया दिखाते हुए कहा कि मेरे पांचों पुत्रों की हत्या के बाद मैं जिस कष्ट का अनुभव कर रही हूं, ठीक वैसा ही कष्ट अश्वत्थामा की मृत्यु के पश्चात इनकी मां को होगा और यह मैं नहीं चाहती। इसलिए इस पर दया कर इसको जीवित छोड़ देना चाहिए। इससे पूर्व शरणागति परिवार के अध्यक्ष रसिया बाबा ने प्रभु श्री श्रीनाथ जी प्यारे की अष्ट्याम सेवा के अंतर्गत सायंकालीन सेवा एवं पूजन अर्चन कर कथा का शुभारंभ किया।
इस अवसर पर शरणागति परिवार के सचिव शशिकांत भंडारी एवं प्रवक्ता देव द्विवेदी के अतिरिक्त कन्हैया अग्रवाल स्वीटी सुपारी वाले, प्रदीप चौधरी, बालकृष्ण अग्रवाल आदि सहित अनेकों श्रद्धालु भक्तगण उपस्थित रहे