Thursday, January 16, 2025
Homeन्यूज़न्यूज़मस्जिद कमेटी ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि के दावे को बताया गलत, कोर्ट से...

मस्जिद कमेटी ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि के दावे को बताया गलत, कोर्ट से दावा खारिज करने की मांग

मथुरा। श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन के पूर्ण स्वामित्व को लेकर चल रहे कोर्ट केस में प्रतिवादी इंतजामिया शाही मस्जिद कमेटी के सचिव ने ठाकुर केशवदेव महाराज के दावे को गलत बताया है और अदालत को ये भी दलील दी कि यह दावा पूजा स्थल अधिनियम 1991 के खिलाफ है। इस इस दावे को खारिज करने की अपील अदात से की गई। वहीं वादी श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन समिति के अध्यक्ष ने कहा है कि उक्त एक्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा रही है। अदालत ने इस केस की अगली सुनवाई को एक अप्रैल की तारीख दी है।


श्रीकृष्ण जन्म भूमि मुक्ति आन्दोलन समिति के अध्यक्ष एवं अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने अदालत में दावा किया था कि शाही मस्जिद ईदगाह को इसी जमीन पर मंदिर को तोड़कर बनाया गया है। प्रतिवादी पक्षों में यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड चेयरमैन, कमेटी ऑफ मैनेजमेंट ट्रस्ट शाही मस्जिद के सचिव के अलावा श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के ट्रस्टी व श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव शामिल हैं।

वादी पक्ष ने ये लगाए थे आरोप

वादी पक्ष एवं अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने आरोप लगाया गया था कि वह मस्जिद में लगे उन पत्थरों को हटाने का प्रयास किया जा रहा है जो कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाते समय लगाए थे। इस मामले की जांच के लिए वादी पक्ष ने अदालत से एक कमीशन गठित कर जांच कराने की अपील की थी। जिससे कि मस्जिद में लगे पत्थर और अन्य सामग्री की वास्तविकता स्पष्ट हो सके। जब तक जांच की जा रही तब तक स्टे लगाने ओर रिसीवर नियुक्त किए जाने की मांग की थी। इस मामले में शाही मस्जिद के सचिव व यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड चेयरमैन को पार्टी बनाय गया था।

पूजा स्थल अधिनियम पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

समिति के अध्यक्ष ने कहा कि पूजा स्थल अधिनियम 1991 को एडवोकेट अश्वनी उपाध्याय द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया गया है। उनकी याचिका स्वीकार कर ली गई है, जिस पर सुनवाई होनी शेष है।

इस अधिनियम के तहत भी यह अधिनियम उन मामलों में लागू नहीं होता जिनका केस 1947 से पूर्व चल चुका है। श्रीकृष्ण जन्मस्थान भी उन केसों में से एक है। इसका विवाद भी 1947 से पूर्व अदालत में चल चुका है। अदालत ने अगली सुनवाई की एक अप्रैल की तारीख तय की है।

केस की सुनवाई 7 अप्रैल को

सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री द्वारा जमीन को लेकर किए गए दावे की रिवीजन में रूप में जिला जज की अदालत ने सोमवार को सात अप्रैल की तारीख तय की है। बता दें कि यह दावा अभी तक अदालत में दर्ज नहीं हो सका है।

जिला जज की अदालत में इस केस को रिवीजन के रूप में सुना जा रहा था। जिला शासकीय अधिवक्ता (डीजीसी) शिवराम तरकर ने बताया कि अदालत में नोवर्क होने के कारण अदालत ने 07 अप्रैल की सुनवाई की तारीख तय की है।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments