Thursday, January 16, 2025
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वृंदावन के श्री रंगनाथ मंदिर 29 मार्च से शुरु होगा 10 दिवसीय ब्रह्मोत्सव

वृंदावन। उत्तरभारत में दक्षिणात्य शैली के विशाल श्री रंगनाथ मन्दिर दिव्यदेश का दस दिवसीय ब्रम्होत्सव 29 मार्च से विविध धार्मिक व सांस्कृतिक अनुष्ठानों के साथ प्रारंभ होने जा रहा है। महोत्सव का मुख्य आकर्षण रथ का मेला 4 अप्रैल को आयोजित होगा। धार्मिक नगरी में यूं तो मन्दिरों की एक अनवरत श्रंखला है। लेकिन श्री रँगमन्दिर अपने आप मे कई विशेषताओं को समेटे हुए है। जो कि अनूठी है। मन्दिर की वैदिक पूजा पद्वति हो या उत्सवों की श्रंखला सब कुछ वैदिक परम्पराओं पर आधारित है।

दक्षिण की वैदिक भूमि से ब्रज में भक्ति की भूमि पर साधना करने आये परम् तपस्वी सन्त रँगदेशिक महाराज की सद्प्रेरणा से मथुरा के धनिक भक्त राधाकृष्ण ,लक्ष्मी चंद,गोविन्ददास ने इस मंदिर का निर्माण कराया। संवत 1901 से प्रारम्भ हुए विशालकाय मन्दिर का निर्माण 1906 में पूर्ण हुआ। जिसमें वैदिक रीतिरिवाज से श्री गोदा रंगनाथ, श्री वेंकटेश्वर, श्री सुदर्शन जी, श्री वैष्णव सम्प्रदाय के अर्चावतार ,श्री रामानुज स्वामीजी के चल अचल विग्रह स्थापित किये गये।

मन्दिर की मुख्य अधिशाषी अधिकारी अनघा श्री निवासन ने बताया कि यह उत्सव ब्रह्मा के द्वारा बनाया उत्सव है इसीलिए इसे ब्रह्मोत्सव कहते हैं। इस उत्सव में भगवान भक्तों के बीच जा कर दर्शन देते हैं । इस बार ब्रह्मोत्सव ( रथ का मेला) 29 मार्च से शुरू होगा। इस मेले में प्रात: और शाम को भगवान रँगनाथ विभिन्न वाहनों पर विराजमान हो कर मन्दिर से बैंड बाजा के साथ निकलेंगे। इस उत्सव में 3 अप्रैल को होली , 4 अप्रैल को रथ यात्रा और 5 अप्रैल को बड़ी आतिशबाजी प्रमुख रूप से रहेगी। इसके साथ ही कोविड 19 के सभी नियमों का पालन किया जाएगा।

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उन्होंने उत्सव में शामिल होने के लिये आने वाले श्रद्धालुओं से अपील की कि वह मास्क जरूर पहनें।श्री रघुनाथ आचार्य ने बताया कि ब्रम्होत्सव का शुभारंभ वैदिक परम्परानुसार ध्वजारोहण से होगा। जिसके अंतर्गत अखिल ब्रह्मांड नायक को आमंत्रित करने के लिए गरुण जी का आह्वान कर उन्हें स्वर्ण स्तम्भ पर आरूढ़ किया जाता है। इसी क्रम में देव आह्वान व आचार्य परम्परा को स्थापित किया जाता है।


इस अवसर पर राकेश दुवे, तिरुपति, आनंद राव, हरस्वरूप , श्री निवास आदि उपस्थित रहे ।

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