पंथ मज़हबों मे जनाज़े या आखिरी रस्मे रात में निभाई न जतिन हों किन्तु हिन्दू धर्म मे ऐसा नहीं है , हिन्दू समाज बहुत व्यापक है और इसके रीति रिवाज इतने पेचीदा हैं कि शुभ अशुभ की परिकल्पनाएं इस बात पर निर्भर करतीं है कि आप किस समाज से ताल्लुक रखते हैं कौन सा पंथ मानते हैं कौन सी बोली बोलते हैं खान रहते हैं और क्या खाना पीना पसन्द करते हैं ।
हर धर्म में मनुष्य के अंतिम संस्कार की अलग-अलग प्रथाएं हैं, कुछ शरीर को दफ़नाते हैं तो कुछ जलाते हैं, लेकिन हमें कुछ ऐसी प्रथाओं के बारे में पता चला है जो बहुत ही अजीब हैं, इनमें से कुछ पहले होती थीं और कुछ अब भी होती हैं। आइए, आज हम आपको बताते है अंतिम संस्कार से जुडी ऐसी ही परम्पराओं के बारें मेंकहते है की गुरुद्र पुराण में लिखा है कि जब भी किसी के घर में मृत्यु हो जाती है तो रात को घर में शव पड़ा रहता है। कहते है कि शरीर आत्मा का वास है
अगर आत्मा शरीर को छोडकर चली गई तो वो शरीर खाली हो जाता है।मृत शरीर को तुलसी के पेड़ के पास रखना चाहीए।और भगवान को याद करना चाहीए,क्योंकी उसकी आत्मा अंतिम संस्कार तक हमारे ही बीच रहती है। लाश को कभी भी अकेला नहीं छोडना चाहीए क्योंकि उस खाली शरीर पर कोई बुरी आत्मा अपना हक जमा सकती है उसके अंदर प्रवेश कर सकती है।