वृंदावन। प्रसिद्ध रँगमन्दिर दिव्यदेश के 172 वें ब्रम्होत्सव के पंचम दिवस ठाकुर रंगनाथ भगवान मोहिनी रूप धारण कर चांदी की पालकी में सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकले। आल्हादित भक्तों ने ठाकुरजी की आरती उतार भव्य स्वागत किया। श्री रँगमन्दिर दिव्यदेश के दस दिवसीय ब्रम्होत्सव में शुक्रवार को ठाकुरजी मोहिनी रूप धारण कर चांदी की पालकी में सवार होकर भक्तों को कृतार्थ करने निकले।

निज गर्भगृह से बाहर निकलकर जब पालकी बारहद्वारी में विराजमान हुई तो वैदिक परम्परानुसार कुंभ आरती उतारी गयी। मृदङ्ग, शहनाई,की मधुर ध्वनि के साथ हुई आरती के दर्शनों से आल्हादित भक्तों द्वारा रंगनाथ भगवान की जयघोष से मन्दिर परिसर गुंजित हो उठा।

मन्दिर परिसर से बाहर निकलकर पालकी की सवारी प्रमुख मार्गों से होती हुई रंगजी का बड़ा बगीचा पहुंची। जहाँ विश्राम के उपरांत श्री वैष्णवीय परम्परा से जुड़े अनेकानेक मन्दिरो में भी पालकी की सवारी दर्शनों के लिए पधारती है। भक्तों द्वारा स्थान स्थान पर आरती उतारकर स्वागत किया गया। मन्दिर की सीईओ अनघा श्री निवासन ने बताया कि मान्यतानुसार समुद्र मंथन के समय भगवान ने मोहिनी रूप धारण कर दानवों की मति भृमित कर दी थी। प्रभु के इस अलौकिक छवि के जहां भक्त मोहमाया से विरत होकर भक्ति के मार्ग की ओर अग्रसर होता है। सायंकालीन सत्र में ठाकुर गोदारँगमन्नार भगवान सिंह शार्दूल पर विराजमान हुए। प्रभु के इस स्वरूप के दर्शन मात्र से भक्त भयमुक्त होकर भगवान की शरणागत होता है।