वृंदावन। उत्तरभारत के दक्षिणात्य शैली के विशालतम श्री रँगमन्दिर के चंदन निर्मित रथ में विराजित ठाकुर गोदा रँगमन्नार भगवान के दर्शनार्थ भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। साठ फीट ऊंचे भव्य रथ को खींचने के लिये भक्तों में होड़ लगी रही। श्री रँगमन्दिर दिव्यदेश के 172 वें ब्रम्होत्सव में चैत्र कृष्णपक्ष की सप्तमी तिथि पर ठाकुर गोदा रंगमन्नार भगवान चन्दन निर्मित विशालकाय रथ पर विराजमान होकर भक्तों को कृतार्थ करने निकले।
वैदिक परम्परानुसार प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में ठाकुर रंगनाथ भगवान श्रीदेवी, भूदेवी के साथ निज गर्भगृह से पालकी में विराजमान होकर ज्योतिष गणनानुसार मीन लग्न में दिव्याकर्षक रथ में विराजित हुए तो रंगनाथ भगवान के जयजयकार से सम्पूर्ण क्षेत्र गुंजायमान हो उठा। तदोपरांत वैदिक रीतिरिवाज से मन्दिर पुरोहित विजय किशोर मिश्र व गोविंदकिशोर मिश्र ने वेद मंत्रों का उच्चारण कर देव आह्वान, नवग्रह स्थापन, गणपति आह्वान आदि देवो का पूजन वंदन कर दसों दिशाओं को सुरक्षित कराये जाने के उपरांत पेठे की बलि दी गयी।
लगभग दो घण्टे की पूजा प्रक्रिया के बाद जैसे ही सात कूपे का धमाका व काली के स्वर ने रथ के चलने का संकेत किया। भक्तो का उत्साह दोगुना हो गया। रंगनाथ भगवान के जयकारे लगा विशालकाय रथ को खीचने की होड़ सी लग गयी। करीब 15 फुट चौड़े, 20 फुट लंबे व 60 फुट ऊंचे रथ की छवि देखते ही बनती थी।
उच्चश्रेवा नामक चार श्वेत घोड़ो की लगाम थामे पार्षद, मुख्य पार्षद जय विजय,दिग्पाल, विश्वकसेन जी आदि देवताओं से सुसज्जित रथ पर सजी रंगबिरंगी पताकाये, देशी विदेशी सुगन्धित पुष्प, केलि के तने, हरे पत्तों से रथ का आकर्षण अपनी दिव्यता से भक्तो को अपनी ओर आकर्षित कर रहा था। लगभग तीन घण्टे में रथ ने करीब सात सौ गज का सफर तय किया। मध्यान्ह 12 बजे रथ बड़ा बगीचा पहुंचा। जहाँ विश्राम के उपरांत रथ मन्दिर के लिए रवाना हुआ। रथ घर से ठाकुर जी को पुन: पालकी में विराजमान कर शुक्रवार बगीची में विराजित कर शीतलता प्रदान करने के उद्देश्य से रंगीन फब्बारे चलाये गये। ठाकुरजी की शीतल पेय पदार्थ, मिष्टान्न, फल आदि निवेदित किये गये।
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Posted by Neo News-Har Pal Ki Khabar on Saturday, 3 April 2021