के.डी. डेंटल कॉलेज में दंत चिकित्सा में रूट कैनाल ट्रीटमेंट में माइक्रोस्कोप के योगदान पर हुआ सेमिनार
मथुरा। हर इंसान कभी न कभी दांतों की समस्या से जरूर परेशान होता है, यदि समय रहते विशेषज्ञ दंत चिकित्सक से उपचार करा लिया जाए तो समस्या से निजात पाया जा सकता है। शुक्रवार को के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में मेडेंटिस कम्पनी के सहयोग से दंत चिकित्सा में रूट कैनाल ट्रीटमेंट में माइक्रोस्कोप के योगदान विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमें देश के जाने-माने विशेषज्ञ दंत चिकित्सकों डॉ. गोपीकृष्णा तथा डॉ. शालू महाजन ने अपने-अपने अनुभव साझा किए।
सेमिनार का शुभारम्भ मां सरस्वती के छायाचित्र पर पुष्पार्चन और दीप प्रज्वलित कर किया गया। मुख्य वक्ताओं डॉ. गोपीकृष्णा तथा डॉ. शालू महाजन का संस्थान के प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी ने पुष्पगुच्छ भेंटकर स्वागत किया। दंत चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. गोपीकृष्णा ने कहा कि मुंह और दांतों के उपचार में रूट कैनाल पद्धति बहुत कारगर है। यह उपचार की ऐसी पद्धति है जिसमें क्षतिग्रस्त या संक्रमित दांतों को निकालने की बजाय उनकी मरम्मत और साफ-सफाई की जाती है, फिर उन पर कैप लगाया जाता है।
उन्होंने कहा कि दंत चिकित्सा विज्ञान का प्रयास होता है प्राकृतिक दांतों को जहां तक सम्भव हो सुरक्षित रखा जाए। डॉ. गोपीकृष्णा ने कहा कि रूट कैनाल ट्रीटमेंट यदि माइक्रोस्कोप से जांच के बाद किया जाए तो मरीज को चार-पांच बार आने की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि चिकित्सा क्षेत्र में माइक्रोस्कोप एक तरह से तीसरी आंख है जिसके माध्यम से छोटी से छोटी समस्या को आसानी से देखा और समझा जा सकता है। दांतों की सर्जरी से पहले कम्प्यूटर के जरिए थ्री-डी प्लानिंग कर लेनी चाहिए। इससे सर्जरी आसान और बेहतर होगी। सेमिनार में डॉ. गोपीकृष्णा ने छात्र-छात्राओं को लेजर के जरिए बिना ऑपरेशन के मुंह के चकत्ते हटाए जाने की जानकारी देने के साथ ही माइक्रोस्कोप की कार्यप्रणाली से भी अवगत कराया।
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Posted by Neo News-Har Pal Ki Khabar on Friday, 9 April 2021
के.डी. डेंटल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी ने बताया कि दांतों में कीड़ा लगने (डीप केविटी), चोट लगना, दांतों की सतह के बहुत अधिक घिस जाने आदि के कारण पल्प में सूजन या संक्रमण होता है। इससे दांतों में असहनीय दर्द तथा ठंडा या गर्म खाने पर भी दर्द होता है। डॉ. लाहौरी ने कहा कि शुरुआती अवस्था में इलाज कराने पर एक अथवा दो सिटिंग में ही इलाज पूरा किया जा सकता है। रूट कैनाल थेरेपी में डेंटिस्ट आपकी इन्हीं नसों और रक्त वाहिकाओं एवं संक्रमित टिश्यू को दांत से अलग कर देते हैं। ऐसा वह माइक्रोस्कोप एवं एक्स-रे आदि की सहायता से करते हैं।
डॉ. शालू महाजन ने बताया कि यदि दांतों का उचित ख्याल रखा जाए तो रूट कैनाल उपचार के बाद दांत जीवन भर साथ दे सकते हैं। यदि आप अपने दांतों की उम्र बढ़ाना चाहते हैं तो उनकी उचित देखभाल और मौखिक स्वच्छता रखनी होगी। डॉ. अजय नागपाल ने कहा कि यदि रूट कैनाल उपचार का सही लाभ लेना चाहते हैं तो उपचार को अधूरा नहीं छोड़ें। चिकित्सक की सलाह के अनुसार फिलिंग या कैप अवश्य लगवाएं और साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें। सेमिनार में डॉ. एंड्री पिसकॉट, विपिन सिंह, के.डी. डेंटल कॉलेज के इंडोडोन्टिक विभाग के चिकित्सक, प्रशासनिक अधिकारी नीरज छापड़िया तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।