कोलकाता। देश में पहली बार एक महिला के शव पर कोरोना के प्रभावों को लेकर शोध कार्य किया जाएगा। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता की 93 साल की ज्योत्सना बोस के शरीर को इसके लिए दान किया गया है। महिला ने 10 साल पहले अपना शरीर दान करने का फैसला लिया था। बोस की इच्छा के मुताबिक ही परिवार ने उनकी मौत के बाद अब उनके शरीर को मेडिकल रिसर्च के लिए दान कर दिया है। ज्योत्सना बोस यूनियन ट्रेड लीडर भी थीं।
ज्योत्सना बोस की पोती डॉ. तिस्ता ने बताया कि उनकी दादी को 14 मई को उत्तर कोलकाता के एक अस्पताल में 14 मई को भर्ती कराया गया था, जहां दो दिन बाद उन्होंने दम तोड़ गिया। दादी ने 10 साल पहले संस्था को अपना शरीर दान करने की प्रतिज्ञा ली थी। ऐसे में परिवार ने फैसला लिया कि उनका शरीर डोनेट किया जाए और हमने उनके शरीर को कोविड-19 पर रिसर्च के लिए डोनेट किया है।
बताया गया है कि ज्योत्सना बोस के शरीर पर रिसर्च के जरिए मानव शरीर पर कोरोना वायरस के प्रभाव का पता लगाया जाएगा। ज्योत्सना बोस के परिवार का कहना है कि मेडिकल क्षेत्र के विशेषज्ञ कोरोना वायरस के बारे में आज भी बहुत ज्यादा नहीं जानते हैं। ऐसे में कोरोना वायरस मानव अंगों को किस तरह प्रभावित करता है। इसको लेकर कुछ अहम सवालों के जवाब ज्योत्सना बोस के शरीर पर रिसर्च से मिल सकते हैं।
एनजीओ गणदर्पण ने कहा है कि इस तरह की रिसर्च के लिए बॉडी शरीर दान करने वाली ज्योत्सना देश की संभवत पहली महिला हैं, वहीं पश्चिम बंगाल की दूसरी शख्सियत हैं। बोस से पहले ब्रोजो रॉय भी अपना शरीर रिसर्च के लिए दान कर चुके हैं। पश्चिम बंगाल में अब तक तीन लोग कोरोना पर रिसर्च के लिए बॉडी दान दे चुके हैं।