मथुरा। राजकीय बाल गृह के बच्चों की मौत का कारण सैप्टीसीमिया बताया जा रहा है। सैप्टीसीमिया गंदगी के कारण फैलता है। प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा सबकुछ ठीक और सफाई व्यवस्था दुरुस्त होने के बाद आखिर बच्चों में संक्रमण केसे फैल गया जो कि एक के बाद एक उनकी मौत का कारण बन गया। इसे लेकर प्रशासनिक अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है। राजकीय बाल गृह शिशु में करीब एक माह पहले 22 बच्चे कोरोना संक्रमित पाए गए थे। उस दौरान प्रशासनिक अमले में अफरा-तफरी तो मची। लेकिन व्यवस्थाओं को लेकर किसी ने फोकस नहीं किया। हालांकि संक्रमित बच्चों की रिपोर्ट तो निगेटिव आ गई, लेकिन संक्रमण बच्चों में घर कर गया।
जिम्मेदारों का दावा है कि बाल गृह शिशु में साफ सफाई पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है, जबकि जिन तीन बच्चों की मौत हुई है। वह तीनों सैप्टीसीमिया के ग्रसित थे। जिला महिला अस्पताल के चिकित्सक केके माथुर का कहना है कि बच्चों की मौत सैप्टीसीमिया से हुई है। जिला प्रोवेशन अधिकारी अनुराग श्याम रस्तौगी का दावा है कि बाल गृह शिशु में साफ सफाई के पूरे इंतजाम हैं। बच्चों को पौष्टिक आहार दिया जा रहा है। जिला अस्पताल के डा. रमन अपनी टीम के साथ हर सप्ताह बच्चों के स्वास्थ्य का परीक्षण करते हैं। जब सभी व्यवस्था ठीक हैं तो बच्चों में संक्रमण कैसे फैला ? इसको लेकर कोई जवाब नहीं दे पा रहा है।
बाल रोग विशेषज्ञों का कहना है कि सैप्टीशिमिया से कोई भी ग्रसित हो सकता है। छोटे बच्चे में यह संक्रमण बहुत जल्दी पनपता है। संक्रमण वहीं सक्रिय होता है, जहां पर गंदगी होती है। छोटे बच्चों को निप्पल से दूध पिलाया जाता है। गंदगी पर बैठने के बाद मच्छर और मक्खी निप्पल पर बैठकर संक्रमण को छोड़ती है। वहीं निप्पल से बच्चा को दूध पिलाया जाता है तो वह सीधे पेट में पहुंच जाता है। इससे संक्रमण ब्लड में हो जाता है। ऐसे में छोटे बच्चों को रिकवर कर पाना बेहद मुश्किल होता है।