मथुरा। फंगस व्यक्ति के बीच कोई नया नहीं है। व्हाइट फंगस, ब्लैक फंगस यलो फंगस सभी एक ही क्लास के हैं। यह पहले से ही हमारे आसपास जहां तक के व्यक्ति की नाक में मौजूद रहते हैं। लेकिन यह फंगस तभी व्यक्ति पर हमला करता है जब या तो व्यक्ति की इन्यूनिटी पॉवर यानि रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है या फिर व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी की पचेट में हो। यह कहना है नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. पूनम अग्रवाल का। आइए जानते हैं एक साधारण बीमारी क्यों बन गई महामारी जो ले रही है लोगों की जान-
कोरोना के कारण फंगस लोगों के लिए हो रहा घातक
डा. पूनम अग्रवाल ने बताया कि यह फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) उन्ही पर हमला करता है जिन व्यक्ति को डायबेटिक या फिर उनके ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुए हों, आईसीयू में होने उनको ऐसी दबाइयां जाती हैं, जिनसे इम्यूनिटी पॉवर कम हो जाती है या फिर कैंसर के मरीज उनको पहले से ही यह फंगस इन्फेंक् शन होता था। पहले यह बहुत ही कम होता था। तो लोगों को पता नहीं चल पाता था। लेकिन यह फंगस संक्रमण है पहले से ही नया नहीं है।
कोरोना महामारी के दौरान फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) लोगों पर अटैक क्यों कर रहा है और इसके जानलेवा होने का कारण को डॉक्टर पूनम अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि जिन लोगों को कोरोना संक्रमण होता है उनकी इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है। जिससे फंगस अटैक कर देता है। इसलिए कोरोना काल में यह ज्यादा देखने मिल रहा है और जानलेवा साबित हो रहा है। इन दिनों यह भी देखने को मिल रह है कि यह फंगस इन्फेंक्शन डायबिटीज पेशेंट में यह ज्यादा हो रहा है। इसके पीछे दो कारण है।
डायबिटीज मरीजों के लिए ज्यादा खतरनाक है फंगस
पहला तो यह डायबिटीज मरीजों को कोरोना से ज्यादा जल्दी कोरोना से ग्रसित होते हैं। कोरोना की वजह से उनकी डायबिटीज ज्यादा बढ जाती है। उन्हें सिके्रड डिजीज का खतरा बढ जाता है। इस खतरे को कम करने के लिए स्टेरॉइड जैसी दवाइयां ज्यादा देनी पड़ती हैं। इन कई कारणों से व्यक्ति की इम्यूनिटी पावर लगातार कम होती चली जाती है। जिससे उसे फंगल इन्फेंक्शन का खतरा ज्यादा बढ जाता है। यही कारण है कि हमें कोरोना महामारी के समय फंगल इन्फेंक्शन लोगों में ज्यादा देखने का मिल रहा है।
पहले इसलिए फंगस नहीं थी जानलेवा महामारी
देश में डायबिटीज, फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस)और डायबिटीज को नियंत्रित करने की दवाएं भी कोरोना महामारी से बहुत पहले से हैं। तो ऐसे में फंगस लोगों के लिए ज्यादा घातक साबित हा रहा है। इस पर डॉक्टर पूनम अग्रवाल ने बताया कि इसके दो बड़े कारण है कि पहला तो डायबिटीज के मरीजों को पहले कोविड नही होता था, दूसरा यह कि उनको हमेशा स्टेरॉइड दवाएं देने की आवश्यकता नही होती थी। जिससे कि उनकी इम्यूनिटी पावर बरकरार रहती थी और वह फंगस इन्फेंक्शन से बच जाते थे। लेकिन अब इसका प्रभाव देशभर में ज्यादा देखने को मिल रहा है। यही कारण है कि उत्तरप्रदेश सहित कई देश के कई राज्यों को इसे महामारी घोषित करना पड़ा।
फंगस इन लोगों पर कर सकता है हमला
फंगस यानि म्यूकोरमाइकोसिस उन पर भी अटैक कर सकता है जो कोविड संक्रमित है, या कोविड संक्रमण से ठीक हो चुके हैं या फिर जिन्होंने कोविड का इलाज नहीं लिया है और उनमें केविड के लक्षण है वह होम क्वारंटीन रहकर अपना इलाज कर रहे हैं।
ऐसे पहचानें फंगस इन्फेंक्शन
नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. पूनम अग्रवाल ने बताया कि यह फंगस यानि म्यूकोरमाइकोसिस नाक के जरिए ही व्यक्ति को अपनी चपेट में लेती हैं। यह पहले व्यक्ति की नाक में फिर आंख और उसके बाद मांइड में चला जाता है। इसका पहला लक्षण है कि नाक बंद हो जाती है फंगस से संक्रमित व्यक्ति को नाक से काले रंग का पदार्थ निकल सकता है। नाक के आसपास का सुन्न महसूस हो सकता है और सिर में दर्द हो सकता है। फंगस से संक्रमित व्यक्ति को नाक से बदबू भी आ सकती है। फंगस नाक से आंख में पहुंचने पर आखें लाल हो सकती है, आखों में सूजन भी आ सकती है। इतना ही नहीं आंखें चलना भी बंद कर देती हैं और पलक भी गिर जाती है।