मथुरा। जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव में सर्वाधिक सदस्यों की जीत दर्ज करने वाली बहुजन समाज पार्टी जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव आते-आते पिछड़़ गई है। मथुरा में बसपा में पड़ी दो फाड़ और उसके बाद पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक के बीच खींचतान ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए विरोधी दल को बड़ा मौका दे दिया है। परिणाम स्वरुप बसपा सदस्य अब भाजपा प्रत्याशी के समर्थक से भी आगे प्रस्तावक के रुप में कदम रख दिया है।
जिला पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव आते-आते बसपा के बीच लंबे समय से चल रही फाड़ सामने आई है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि पूर्व मंत्री के पास बसपा के 13 सदस्यों में 9 सदस्य हैं। जबकि चार सदस्य पूर्व विधायक के पास थे। बसपा के दोनों नेताओं के बीच चल रही खींचतान के कारण जिला पंचायत अध्यक्ष पद के जीत के बसपा के सभी दावे ध्वस्त हो गए। इसका दो धड़ों में बंटी बसपा का फायदा विरोधी पार्टी भाजपा ने भरपूर उठाया और यही कारण है कि बसपा सदस्य भाजपा के खेमें में चले गए हैं और भाजपा प्रत्याशी चौधरी किशन सिंह की जीत सुनिश्चित कर दी है।
राजनीतिक हल्कों मेंं यह भी बात सामने आ रही है कि रालोद जिला पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव सिर्फ इसलिए लड़ रही है कि उसे अपना राजनीतिक अस्तित्व बनाए रखना है। सूत्रों का यह भी कहना है कि रालोद प्रत्याशी के पास जीतने के लिए दूर-दूर तक सदस्यों का बहुमत नहीं दिख रहा है फिर भी वह चुनावी संग्राम में खड़े हुए हैं।