Thursday, November 28, 2024
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कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों को वैक्सीन की सिंगल डोज डेल्टा वेंरिएंट से सुरक्षा देने में पर्याप्त

नई दिल्ली। जो लोग कोरोना संक्रमित होने के बाद ठीक हो चुके हैं और उन्होंने वैक्सीन का एक डोज या दोनों डोज लगवा लिए हैं। उनको कोविशील्ड के एक या दोनों डोज इस्तेमाल कर चुके लोगों के मुकाबले कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप से ज्यादा सुरक्षा मिलती है। ये खुलासा भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद् की तरफ से किए गए अध्ययन में सामने आई है।

वैक्सीन का सिंगल या दोनों डोज देता है अधिक सुरक्षा

रिसर्च से ये भी पता चलता है कि वैक्सीन की एक डोज भी कोविड-19 से ठीक हो चुके मरीजों को दूसरे संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा देने के लिए प्रयाप्त है और नए उभरते हुए स्वरूप के खिलाफ रक्षा देता है। गौरतलब है कि भारत में बी.1.617 के मामलों में हालिया उभार के बाद लोक स्वास्थ्य के लिए नयी चिंताएं पैदा हो गयी हैं। रिसर्च के मुताबिक, “स्वरूप में आगे बी.1.617.1 (कप्पा), बी.1.617.2 (डेल्टा) और बी.1.617.3 बदलाव हुआ। जाहिर है, डेल्टा स्वरूप धीरे-धीरे दूसरे स्वरूप पर हावी हो गया है। इसी के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे चिंता का विषय बताया है। ’’रिसर्च का मकसद कोविशील्ड की इ.1.617.1 स्वरूप को बेअसर करने की क्षमता का पता लगाना था, जो भारत में हालिया कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी का जिम्मेदार समझा जा रहा है।

डेल्टा स्वरूप के खिलाफ कोविशील्ड के असर की जांच

आईसीएमआर का रिसर्च इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि देश के अधिकतर लोगों ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की बनाई कोविड-19 वैक्सीन लगवा ली है। रिसर्च में बताया गया है कि प्रतिभागियों का लंबे समय तक फॉलोअप कोविशील्ड के जरिए कोरोना वायरस से दीर्घकालीन सुरक्षा पर टीकाकरण और प्राकृतिक संक्रमण के प्रभाव को समझने में मदद मिल सकती है। इसलिए, अप्रत्याशित परिवर्तन देखने के लिए ब्रेकथ्रू संक्रमण की निगरानी रखना महत्वपूर्ण है। आपको बता दें कि वैक्सीन के दो डोज बाद भी अगर किसी में संक्रमण की दिक्कत आ रही है, तो उसे ब्रेकथ्रू इंफेक्शन कहते हैं। रिसर्च के नतीजे शु्रक्रवार को ‘बायोरेक्सिव प्रीप्रिंट सर्वर’पर जारी किया, जिसकी समीक्षा होना बाकी है।

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