Sunday, November 24, 2024
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राहुल गांधी लोकसभा में होंगे कांग्रेस के अगले नेता! मां सोनिया और बहन प्रियंका को मनाने की सौंपी जिम्मेदारी

नयी दिल्ली। भाजपा जहां मंत्रिमंडल में फेरबदल को लेकर चर्चाओं से घिरी हुई है, वहीं कांग्रेस संगठन में बड़े फेरबदल की चर्चाएं भी तेज हो गई है। इन चर्चाओं के बीच यह सभांवना जताई जा रही है कि राहुल गांधी लोकसभा में कांग्रेस के अगले नेता हो सकते हैं। संगठन में बड़े बदलावों के बीच, कांग्रेस पार्टी के लोकसभा में एक नया नेता होने की उम्मीद है और कम से कम दो वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के हवाले से हिंदुस्तान टाइम्स ने लिखा है कि राहुल गांधी इस पद के लिए एक शीर्ष दावेदार हैं।

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि निश्चित रूप से इसके बारे में कुछ भी आधिकारिक नहीं है क्योंकि इसके लिए अभी तक राहुल गांधी की सहमती नहीं मिली है। हालांकि, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा दोनों चाहते हैं कि राहुल गांधी इस भूमिका को स्वीकार करें। दोनों ही राहुल गांधी को इसके लिए मनाने में लगे हैं। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रबदीप सुरजेवाला ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

नेताओं ने कहा कि अगर राहुल अपनी स्वीकृति देते हैं, तो कांग्रेस अध्यक्ष का पद परिवार से बाहर के किसी व्यक्ति को मिल सकता है। कुछ ऐसा जो 23 कांग्रेस नेताओं के समूह की मांग भी है, जो आंतरिक चुनाव कराना चाहते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष पर निर्णय बाद के चरण में लिया जा सकता है क्योंकि वर्तमान अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का कार्यकाल 2022 तक है।

राहुल गांधी खेमे में हर कोई आश्वस्त नहीं है कि उन्हें वह काम करना चाहिए जो वर्तमान में अधीर रंजन चौधरी का है। नाम न बताने की शर्त पर संसद के एक सदस्य ने कहा कि यह उन्हें संसद से जोड़ देगा, और कुछ मायनों में यह कांग्रेस अध्यक्ष होने की तुलना में बहुत कठिन काम है। गांधी पर अक्सर भारतीय जनता पार्टी द्वारा उनकी संसद में कम उपस्थिति और संसदीय समिति की सुनवाई में नियमित नहीं होने के लिए हमला किया जाता रहा है।

चौधरी को पश्चिम बंगाल चुनावों में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के लिए दोषी ठहराया गया था, जहां 135 साल पुरानी पार्टी विधानसभा में एक भी सीट पाने में सफल नहीं हो पायी थी। इसके अलावा, चौधरी के सहयोगियों ने भी उन्हें लोकसभा में पार्टी के मामलों के प्रबंधन में खराब समीक्षा दी और कुछ ने यह भी महसूस किया कि वह सत्ताधारी पार्टी के विरोधी नहीं थे, जो उन्हें होना चाहिए था।

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