Sunday, November 24, 2024
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नैतिकता से ही बदला जा सकता है सामाजिक परिवेश


के.डी. मेडिकल कॉलेज में हुई मेडिकल एथिक्स पर संगोष्ठी


मथुरा। शनिवार को के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर में उत्तर प्रदेश के शासनादेश के परिपालन में मेडिकल एथिक्स (चिकित्सकीय नैतिकता) पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में चिकित्सकों ने माना कि नैतिकता वह अमूल्य निधि है जिसके द्वारा सामाजिक परिवेश को आसानी से बदला जा सकता है। नैतिकता का आधार पवित्रता, न्याय और सत्य है। संगोष्ठी का शुभारम्भ चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र कुमार, विशेषज्ञ शिशु शल्य चिकित्सक श्याम बिहारी शर्मा, डॉ. प्रियंका तिवारी, डॉ. आशीष पाठक, एच.एस. शेखावत आदि द्वारा मां सरस्वती के छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया।


संगोष्ठी में यह माना गया कि चिकित्सा के क्षेत्र में मरीज का सही उपचार बहुत कुछ उसकी जांच और परीक्षण पर निर्भर करता है लिहाजा किसी भी जांच में जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए। इस अवसर पर विशेषज्ञ शिशु शल्य चिकित्सक डॉ. श्याम बिहारी शर्मा ने विभिन्न उद्धरणों द्वारा चिकित्सकों में नैतिकता की आवश्यकता, रोगी के प्रति सद् व्यवहार, अपने सहयोगियों से मृदु व्यवहार तथा निरंतर अध्ययन और अभ्यास के लाभ बताते हुए उस पर चलने के मार्ग सुझाए।

डॉ. राजेन्द्र कुमार ने कहा कि अगर आपने यह ठान लिया कि मरीज को ठीक करना है तो फिर न आप समय देखेंगे न बहाना बनाएंगे बल्कि आप नैतिकता के साथ उसे स्वस्थ करने में लग जाएंगे। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों का आपसी सामंजस्य, रोगी को उचित परामर्श तथा उसकी देखभाल का चिकित्सा के क्षेत्र में विशेष महत्व है। सच्चाई तो यह है कि रोगी के साथ डॉक्टर्स का सही व्यवहार और उपचार ही चिकित्सकीय नैतिकता है।
एच.एस. शेखावत ने सभागार में उपस्थित चिकित्सकों तथा नर्सेज को सम्बोधित करते हुए कहा कि नैतिकता को सामाजिक स्वीकृति प्राप्त है, अतः इसका पालन चिकित्सक ही नहीं प्रत्येक व्यक्ति का पावन कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि किसी भी हॉस्पिटल के ब्लड बैंक को ब्लड देने के मामले में पैसे का लेन-देन नहीं करना चाहिए क्योंकि खून जिन्दगी है, वह व्यापार की वस्तु नहीं है।

संगोष्ठी में लगभग सभी वक्ताओं ने माना कि रोगी से सहानुभूति, शालीन व्यवहार, संवेदनशीलता, जवाबदेही तथा उसकी सतत निगरानी ही सही मायने में चिकित्सकीय नैतिकता है। मानवता न केवल एक पेशे को चुनने के लिए मौलिक मानदण्ड है बल्कि चिकित्सा गतिविधि की सफलता को भी सीधे प्रभावित करती है। संगोष्ठी में डॉ. जी. कांधा कुमारी, डॉ. अभिषेक गुप्ता, डॉ. नरेश कुमार, डॉ. आशीष पाठक, डॉ. अरुंधती शर्मा, डॉ. प्रियंका तिवारी और एच.एस. शेखावत ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए। संगोष्ठी में बड़ी संख्या में चिकित्सक, नर्सेज तथा पैरा मेडिकल कर्मचारी उपस्थित रहे। आभार चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र कुमार ने माना।

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