देवरिया। रुद्रपुर थाना के डाला गांव निवासी शख्स पिछले आठ साल से अपने को जिंदा बताने के लिए संघर्ष कर रहा है। वह शासन, प्रशासन और थकहार का न्यायालय की शरण ली हैं। वह अपने को जिंदा साबित करने के लिए सबूत लेकर कोर्ट के चक्कर लगा रहा है। लेकिन कोई उसका सच मानने को तैयार नहीं है। दरअसल वृद्ध व्यक्ति के भतीजे ने सरकारी अभिलेखों में उसे मृत दर्शा दिया है और उसकी जमीन को अपने नाम करा लिया।
देवरिया जिले के रुद्रपुर तहसील क्षेत्र के डाला गांव के रहने वाले राम अवध पिछले तीन सालों से जिंदा होने का सबूत लेकर तहसील और कचहरी के चक्कर काट रहे हैं। सबकुछ जानकर भी तहसील न्यायालय यह साबित ही नहीं कर पा रहा है कि राम अवध जिंदा हैं या मुर्दा। राम अवध की मानें तो 8 साल पहले उनके भतीजों ने राजस्व कर्मियों की मिलीभगत से सरकारी अभिलेखों में उन्हें मृत दिखाकर उनकी जमीन अपने नाम करा ली। इस मामले में डीएम की ओर से जांच कराई जा रही है।
सीएम से मिलने की बजाय पहुंच गए कोतवाली
शनिवार को मुख्यमंत्री के आने की सूचना पाकर राम अवध ‘मुख्यमंत्री जी मैं कागज में मरा राम अवध बोल रहा हूं, मै जिंदा हूं’ स्लोगन लिखी तख्ती गले में लटकाकर मुख्यमंत्री से मिलकर अपना दुखड़ा सुनाने की तैयारी में थे, लेकिन वह कोतवाली पहुंच गए। बताया जाता है कि सीएम से मिलने की सूचना पाकर रुद्रपुर पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। हालांकि, थानेदार के मुताबिक राम अवध को हिरासत में नहीं लिया गया है। उनके प्रकरण की जानकारी के लिए उन्हें थाने बुलाया गया है।
सरकारी अभिलेखों में 8 साल पहले हो चुकी है मौत
रुद्रपुर थाना क्षेत्र के डाला गांव निवासी राम अवध चार दशक पूर्व रोजी-रोटी की तलाश में यूपी के ललितपुर गए थे। जहां उन्होंने सैदपुर गांव में जमीन खरीद कर घर बना लिया और सपरिवार वहीं रहने लगे। उनकी पुश्तैनी जमीन गांव में भी है। जिसकी देखरेख के लिए बीच-बीच में वह अपने गांव भी आते जाते रहे। राम अवध के मुताबिक 8 साल पूर्व पट्टीदारों के भतीजों ने राजस्व कर्मियों के साथ मिलकर सरकारी अभिलेखों में उन्हें मृत घोषित करा दिया और उनका फर्जी वारिस बनकर उनकी सारी प्रॉपर्टी अपने नाम करा ली।
राम अवध जिंदा है या मुर्दा चल रहा है केस
तीन साल पहले राम अवध जब खतौनी लेने के लिए तहसील गए तो उन्हें पता चला कि उनकी तो 8 वर्ष पहले ही मौत हो चुकी है। यह सुनकर उनके होश उड़ गए। राम अवध अब अपने जिंदा होने का सबूत जुटाकर तहसील और कचहरी का चक्कर काट रहे हैं। तहसील न्यायालय में उन्होंने अपने को जिंदा साबित करने का मुकदमा भी दाखिल किया है, लेकिन विडंबना यह है कि तहसील न्यायालय अभी इस बात को साबित नहीं कर पाया कि राम अवध जिंदा हैं या मुर्दा।