टोक्यो। भारतीय महिला हॉकी टीम पहले ही इतिहास रच चुकी है और अब उसका लक्ष्य तोक्यो ओलंपिक खेलों के सेमीफाइनल में अर्जेंटीना को हराकर अपनी उपलब्धियों को चरम पर पहुंचाना होगा। भारत की आत्मविश्वास से भरी 18 सदस्यीय महिला टीम ने सोमवार को तीन बार के चैंपियन आस्ट्रेलिया को 1-0 से हराकर पहली बार ओलंपिक के सेमीफाइनल में प्रवेश किया।
ड्रैग फ्लिकर गुरजीत कौर ने 22वें मिनट में भारत को मिले एकमात्र पेनल्टी कार्नर को गोल में बदला जो आखिर में निर्णायक साबित हुआ। इस मैच से पहले सभी परिस्थितियां रानी रामपाल की अगुवाई और सोर्ड मारिन की कोचिंग वाली टीम के खिलाफ थी।
भारतीय महिला हॉकी टीम का ओलंपिक में इससे पहले सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन मास्को ओलंपिक 1980 में रहा था जब वह छह टीमों में चौथे स्थान पर रही थी। महिला हॉकी ने तब ओलंपिक में पदार्पण किया था और मैच राउंड रोबिन आधार पर खेले गये थे जिसमें शीर्ष पर रहने वाली दो टीमें फाइनल में पहुंची थी। बुधवार को भारतीय महिलाएं उस उपलब्धि से आगे निकलकर पहली बार ओलंपिक फाइनल में पहुंचने की कोशिश करेंगी।
भारतीय पुरुष टीम सेमीफाइनल से आगे बढ़ने में नाकाम रही और अब सभी की निगाहें महिलाओं पर टिकी हैं। पुरुष टीम अंतिम चार के मुकाबले में बेल्जियम से 2-5 से हार गयी। भारतीय महिला टीम यहां के अपने प्रदर्शन से रैकिंग में सातवें स्थान पर पहुंच गयी है जो उसकी अभी तक की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग है।
लेकिन उसका सामना विश्व में नंबर दो अर्जेंटीना से होगा जो कि पांच साल पहले रियो खेलों में चूकने के बाद ओलंपिक में सफलता हासिल करने के लिये बेताब है।