Thursday, October 3, 2024
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चिकित्सकों को मिले सुरक्षा और प्रोत्साहनः डॉ. अम्बरीश कुमार


के.डी. मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकीय नैतिकता पर विशेषज्ञों के विचार

मथुरा। भारतीय समाज मूल्यप्रधान समाज है। भारतीय संस्कृति में मूल्यों को मनुष्य के सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक जीवन में विशेष स्थान दिया गया है। नैतिकता किसी एक पेशे के लिए नहीं बल्कि समूचे समाज का मूलमंत्र होना चाहिए। आज चिकित्सकों पर हमले हो रहे हैं, उन्हें प्रोत्साहन और सुरक्षा मिलने की बजाय हतोत्साहित करने के प्रयास होते हैं जोकि उचित नहीं है। उक्त विचार शनिवार को के.डी. मेडिकल कॉलेज के सभागार में आयोजित चिकित्सकीय नैतिकता पर डॉ. अम्बरीश कुमार ने व्यक्त किए। सेमिनार का शुभारम्भ मां सरस्वती के छायाचित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया गया।

डॉ. अम्बरीश कुमार ने कहा कि मानव जीवन की सार्थकता तभी है जब वह श्रेष्ठ भावनाएं रखे लेकिन दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि हम आपसी भाईचारे, न्याय, समान अधिकार और स्वतंत्रता का हिमायती बनने का नाटक करते हैं। दरअसल, संविधान में दिए गये मूल्यों की प्राप्ति से पहले हमें व्यक्ति के जीवन और समाज का भी मुआयना करना होगा तभी हम श्रेष्ठ मूल्यों को समाज में स्थापित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि लाख प्रयासों के बाद भी कोरोना संक्रमण से दुनिया भर में 45 लाख से अधिक लोगों की मौत हो गई। चिकित्सकों और चिकित्सा कर्मियों ने अपनी जान जोखिम में डालकर यदि प्रयास न किए होते तो यह आंकड़ा बहुत अधिक होता।

सेमिनार में विशेषज्ञ शिशु शल्य चिकित्सक डॉ. श्याम बिहारी शर्मा ने कहा कि नैतिक मूल्य व्यक्ति के जीवन के साथ-साथ समाज को भी उत्कृष्टता की तरफ अग्रसर करते हैं। नैतिकता का सम्बन्ध मानव जीवन की अभिव्यक्ति से है। मानव जीवन में नैतिक मूल्यों की आवश्यकता, महत्व, अनिवार्यता व अपरिहार्यता जरूरी है ताकि वह अपने परिवार के साथ-साथ सामाजिक दायित्व को निभा सके। नैतिकता सामाजिक जीवन को सुगम एवं विस्तृत बनाती है। समाज का दायित्व है कि वह चिकित्सकों को अच्छी नजर से देखे और उन्हें प्रोत्साहित करे।

सेमिनार में डॉ. एस.के. बंसल ने चिकित्सकों के बीच आपसी समन्वय और एकता पर बल दिया। डॉ. बंसल ने कहा कि हर चिकित्सक और मेडिकल स्टॉरफ हरमुमकिन कोशिश करता है कि उसका मरीज स्वस्थ होकर ही अपने घर जाए। कोई चिकित्सक नहीं चाहता कि मरीज के साथ अनहोनी हो। ऐसे में समाज का फर्ज है कि वह संयम रखे और चिकित्सकों पर अनावश्यक दबाव न डाले। मनोविज्ञानी सचिन गुप्ता ने कई मरीजों के उदाहरण देते हुए चिकित्सकीय नैतिकता पर प्रकाश डाला।

श्री गुप्ता ने कहा कि हर मरीज अपनी गम्भीर परेशानी से बेखबर होता है। यही वजह है कि वह डॉक्टर से सबसे पहले यही सवाल करता है कि वह कितने दिन में स्वस्थ हो जाएगा? उन्होंने माना कि प्रत्येक चिकित्सक को मरीज की वास्तविक स्थिति से उसके अटेंडर को जरूर अवगत करा देना चाहिए। सेमिनार में चिकित्सकों के साथ ही बड़ी संख्या में नर्सेज तथा अन्य चिकित्सा कर्मी उपस्थित थे। संचालन डॉ. अम्बरीश कुमार ने किया तथा आभार डॉ. श्याम बिहारी शर्मा ने माना।

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