Wednesday, October 2, 2024
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मथुरा के राखी बाजार में त्यौहार पर क्यों नहीं है रौनक, इस बार क्या हुए बड़े बदलाव, जानिए

मथुरा। कोरोना संक्रमण भले ही थम गया हो लेकिन शहर के बाजारों में अभी भी वर्ष के बडे़ त्यौहार रक्षाबंधन पर भी रौनक नहीं लौट सकी है। भाई बहन के पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन को देखते हुए दुकानदारों ने राखियों से दुकानें तो सजाई हैं। लेकिन इस बार कोरोना काल से पहले की तुलना में दुकानों पर कम राखियां और गिफ्ट देखे जा रहे हैं। इस बार राखियों के बाजार में कई बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। कम बिक्री, महंगाई राखी होने के साथ ही बाजार से चाइनीज राखियां भी इस बार गायब हैं। नियो न्यूज से शहर के बाजारों में राखी दुकानदारों से बाजार का रुख और वर्तमान हालातों को जानने का प्रयास किया। आइए जानते हैं आखिर कोरोना संक्रमण के थम जाने के बाद भी क्यों नहंी है बाजारों में रौनक और त्यौहार का उल्लास।


राखी बाजार में एक बड़ा बदलाव

शहर के कृष्णा नगर, होली गेट, छत्ता बाजार, जन्मभूमि, चौक बाजार के राखी दुकानदारों ने बताया कि राखी बाजार में इस बार बड़ी बदलाव यह है कि बाजार में चाइनीज राखियां गायब हैं। बाजार में राधारानी, भगवान कृष्ण, मोरपंख, कलावा, बच्चों के लिए डोरीमॉम, छोटा भीम, मोटूपतलू की राखियां आईं हैं। शहर के बाजार में अधिकांश राखियां दिल्ली के सदर बाजार से लाई गईं। जो कि पूरी तरह से देश में ही बनी हुई हैं। जबकि पिछले वर्षों में मथुरा के बाजार चाइनीज राखियों से अटे देखे जाते थे।

बाजार में रौनक न होने के दो बड़े कारण

वर्ष के बड़े त्यौहारों में से एक रक्षा बंधन पर बाजार में रंगत फीकी है। व्यापारियों ने बताया कि कोरोना महामारी से जो आर्थिक नुकसान लोगों का हुआ है। वह उससे अभी भी उबरे नहंी है। रोजगार और नौकरियों का लॉकडाउन का प्रभाव पड़ा है। लोगों के पास पैसा नहीं है। यही कारण है कि बड़े त्यौहार को देखते हुए बिक्री कम है। बाजार में रौनक कम होने का दूसरा बड़ा कारण महंगी राखियां हैं। लगातार बढ़ रही महंगाई से आमजन तृस्त है। इसका असर राखियोंं पर भी पड़ा है। राखियां पर करीबन 30 से 40 प्रतिशत महंगाई बढ़ी है। इस कारण भी महंगी राखियों की खरीद कम है।

व्यापारियों ने सामान्य की तुलना में कम भरा माल

व्यापारियों ने बताया कि बाजार के रुख को देखते हुए राखियां सामान्य की तुलना में दुकान के लिए कम ही लाए हैं। व्यापारी जो लाखों कीमत की राखियां दुकान के लिए लाते थे, उन्होंने हल्के हाथ यानि कम रकम की राखियोंं और गिफ्टों से ही काम चलाया है।

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