उत्तर प्रदेश की राजनीति के नए आयाम स्थापित करने वाले कल्याण सिंह नहीं रहे। लंबी बीमारी के बाद उनका लखनऊ के अस्पताल में निधन हो गया। अपार शोक की इस घड़ी में, जबकि वह हमारे बीच नहीं हैं, तो राजनेता, पार्टी कार्यकर्ता, राम भक्त सभी अपने-अपने संस्मरणों को याद कर रहे हैं। उन्हें एक राजनीतिक संत कहें, जिसे पद-प्रतिष्ठा का मोह छू तक न गया हो अथवा दृढ़ संकल्प की प्रतिमूर्ति जो लक्ष्य का संधान होने तक अर्जुन की भांति एकनिष्ठ भाव के साथ सतत प्रयत्नशील रहे और अंतत: सफलता ने उनका वरण किया। वास्तव में, पांच दशक लंबा उनका सार्वजनिक जीवन इतना विविधतापूर्ण और संघर्षपूर्ण रहा है कि उसे कुछ एक विशेषणों के माध्यम से पूरा नहीं किया जा सकता।
बीजेपी के ‘कल्याण’
यूपी के अलीगढ़ में जन्मे कल्याण सिंह लोध बिरादरी से ताल्लुक रखते थे, अतरौली सीट से उन्होंने पहली बार विधानसभा चुनाव 1962 में 30 साल की उम्र में लड़ा लेकिन हार गए। 5 साल बाद उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी को 4 हजार वोटों से हराकर चुनाव जीता।
कल्याण युग की शुरुआत
अतरौली सीट कल्याण सिंह की परंपरागत और पारिवारिक सीट बनीं। कल्याण खुद इस सीट से 10 बार विधायक बने तो उनकी बहू प्रेमलता और पौत्र संदीप सिंह भी इसी सीट से चुनाव जीते। संदीप सिंह मौजूदा वक्त में यूपी सरकार में राज्यमंत्री हैं तो कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह राजू भैय्या एटा से बीजेपी सांसद हैं। खुद कल्याण सिंह 2009 में एटा से निर्दलीय सांसद बने थे।
राम लला के सच्चे भक्त
कल्याण सिंह, श्रीराम मंदिर आंदोलन के अग्रणी नेतृत्वकर्ताओं में से एक थे। मंदिर के लिए सत्ता छोड़ने में उन्होंने एक क्षण भी नहीं लगाया। उनका यह कथन प्रभु श्रीराम के प्रति उनकी आस्था की झलक है। प्रभु श्रीराम में मुझे अगाध श्रद्धा है। अब मुझे जीवन में कुछ और नहीं चाहिए। राम जन्मभूमि पर मंदिर बनता हुआ देखने की इच्छा थी, जो अब पूरी हो गयी। सत्ता तो छोटी चीज है, आती-जाती रहती है, मुझे सरकार जाने का न तब दुख था, न अब है।
मैं गोली नहीं चलवाऊंगा
जब कार सेवक अयोध्या पहुंचे तक उस समय के तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री शंकरराव चह्वाण का फोन उनके पास आया था। शंकरराव चह्वाण ने कल्याण सिंह से कहा था कि कारसेवक मस्जिद के ऊपर चढ़ गए हैं, तब कल्याण सिंह ने कहा था कि मैं आपको ताजा जानकारी दे रहा हूं कारसेवक विवादित ढ़ाचे पर चढ़े नहीं है बल्कि वो उसे गिरा रहे हैं। कल्याण सिंह ने सभा को संबोधित करते हुए बताया था कि मैंने उनसे कहा कि ये बात रिकॉर्ड कर लो चह्वाण साहब कि मैं गोली नहीं चलवाऊंगा। उन्होंने दो टूक कहा था कि विवादित ढांचा बचे न बचे, कारसेवकों पर गोली नहीं लचवाऊंगा। राम मंदिर के लिए एक क्या, सैकड़ों सत्ता कुर्बान कर दूंगा।