मेरठ। पुलिस मेहकमा में इंस्पेक्टर द्वारा रिश्वत लेने का मामला सामने आया है। इस बार रिश्वत लेने वाले इंस्पेक्टर खुद एसएसपी के बिछाए जाल में फंस गया। दरअसल एसएसपी को जैसे जानकारी मिली कि इंस्पेक्टर रिश्वत ले रहे हैं, उन्होंने गोपनीय जांच शुरू करा दी। वहीं मंगलवार को फिर एसएसपी को सूचना मिली कि कबाड़ी वकार से भी एक लाख रुपये की डील हो गई। 50 हजार लेकर सोमवार को वकार को छोड़ दिया गया। बाकी रकम वकार मंगलवार को देगा।
इसके बाद एसएसपी ने एसपी सिटी के नेतृत्व में टीम बना दी। हेड कांस्टेबल मनमोहन सिंह की घेराबंदी कर ली। शाम चार बजे तक वकार मुजफ्फरनगर से मेरठ पहुंचेगा। इसका पता एसएसपी की टीम को पहले से था। वकार के साथ सादी वर्दी में चार पुलिस वाले भी लग गए। सिपाही को वकार ने रजबन में बुलाया। पैसे लेते ही पुलिस टीम ने सिपाही को दबोच लिया। सिपाही को पकड़ने के बाद पुलिस उसको पुलिस लाइन ले गई। जहां चार घंटे एसएसपी, एसपी सिटी, एएसपी ने पूछताछ की। सिपाही ने इंस्पेक्टर की सारी पोल खोल दी। पुलिस ने वकार से भी पूछताछ की। इसके बाद दोनों को आमने-सामने बैठा दिया। जिस पर सिपाही ने वसूली की रकम के बारे में पुलिस अधिकारियों को बताया।
एसएसपी ने भ्रष्टाचार को लेकर पहली क्राइम मीटिंग में सभी थानेदारों को चेतावनी दी थी। सोतीगंज में लगातार वाहन चोरों और कबाड़ियों के खिलाफ अभियान चलाया, फिर भी वहां पर लगातार चोरी के वाहन मिल रहे थे। इस दौरान भी सदर थाने की तीन शिकायत एसएसपी तक पहुंची। तीन बार कबाड़ी भी एसएसपी आवास पर पहुंचे। इसको लेकर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे थे।
इंस्पेक्टर सदर बिंजेंद्र सिंह राणा ने थाने पर भ्रष्टाचार मुक्त के पोस्टर खुद चस्पा कराए थे। सोशल मीडिया पर पोस्ट भी वायरल की थी कि हमारा थाना अब भ्रष्टाचार से मुक्त है। इस पोस्ट को लेकर पुलिस में अलग अलग चर्चाएं थी।
एसएसपी ने पुलिस पर भ्रष्टाचार का यह दूसरा मुकदमा दर्ज कराया है। 15 पुलिसवाले सस्पेंड किए गए। 100 से ज्यादा पुलिस वाले लाइन में भेजे। एक महीने पहले गंगानगर थाने में दरोगा के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज कराया गया था। अभी उस मामले में दरोगा फरार चल रहा है। अब सदर इंस्पेक्टर को भी पुलिस ने लिखापढ़ी में वांछित बताया है।