आजकल इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग का इस्तेमाल अधिक तेजी से होने लगा है। आसान होने के साथ ही कभी भी और कम समय में बैंक के काम चुटकियों में हो जाते हैं। वहीं इंटरनेट बैंकिंग के खतरे भी बढ़ गए हैं। लोगों के बैंक अकाउंट से साइबर अपराधी खाली कर रहे हैं। इस तरह की घटनाए आए दिन सामने आ रही हैं। बढ़ते सााइबर अपराध को देखते हुए पुलिस ने भी साइबर सैल बनाया है। तो आइए जानते हैं कि आखिर इस तरह के फ्रॉड से कैसे बचा जा सकता है। इंटरनेट बैंकिंग के दौरान क्या-क्या सावधानी बरतने की जरुरत हैं।
सबसे पहली बात यह समझने वाली है कि जब तक कोई ट्रांजेक्शन नहीं करते हैं तब तक आपके फोन नंबर पर ओटीपी नहीं आएगा और यदि बिना ट्रांजेक्शन ओटीपी आता है तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए। यदि ऐसा होता है तो इसका मतलब है कि साइबर ठग के पास आपके बैंक की बहुत सारी जानकारी पहले से मौजूद है।
ऐसी ठगी से बचने का पहला तरीका यह है कि आप समय-समय पर अपने बैंक को अपने मोबाइल नंबर आदि की जानकारी देते रहे हैं। यदि आपका मोबाइल नंबर बदल गया है तो बैंक को इसकी जानकारी तुरंत दें। इसके अलावा सप्ताह में कम-से-कम एक बार अपने क्रेडिट कार्ड अकाउंट की डिटेल चेक करें।
यदि आपके फोन नंबर पर या ई-मेल आईडी पर किसी प्रकार का कोई संदिग्ध लिंक आता है तो उस पर क्लिक करने की गलती ना करें और यदि गलती से क्लिक हो गया है तो किसी ऑनलाइन फॉर्म को ना भरें। इस तरीके के फिसिंग अटैक नाम दिया गया है। इसके जरिए लोगों से उनकी निजी जानकारी जैसे मोबाइल नंबर, ई-मेल आईडी, इंटरनेट बैंकिंग आईडी जैसी जानकारी हासिल की जाती है।
इंटरनेट बैंकिंग या किसी भी तरह के फाइनेंशियल अकाउंट के लिए जटिल पासवर्ड का इस्तेमाल करें और समय-समय पर पासवर्ड बदलते भी रहें, ताकि यदि किसी को इसकी जानकारी हो भी जाए तो भी आप सुरक्षित रहेंगे। पासवर्ड में बर्थडे, शादी की तारीख, मोबाइल नंबर या गाड़ी के नंबर का इस्तेमाल ना करें।
यदि सभी सावधानी बरतने के बाद भी आपके साथ फ्रॉड हो गया तो इसकी जानकारी तुरंत साइबर पुलिस को, स्थानीय पुलिस को और बैंक को दें। आप जितना जल्दी शिकायत करेंगे आपके पैसे के उतने ही वापस आने की संभावना रहती है। इसके अलावा अपने फोन में पेड एंटी वायरस का इस्तेमाल करें। फ्री वाले एंटी वायरस सुरक्षा के लिहाज से सही नहीं होते हैं।