Sunday, November 24, 2024
Homeन्यूज़न्यूज़कोरोना के बाद फिर लाइलाज बीमारी ने दी दस्तक, 12 साल के...

कोरोना के बाद फिर लाइलाज बीमारी ने दी दस्तक, 12 साल के लड़के की मौत

अभी केरल पूरी तरह से कोरोना महामारी से उबरा भी नहीं कि अब एक और बड़ी बीमारी ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। रविवार को राज्य के कोझिकोर्ट में 12 वर्ष के एक लड़के की मौत हो गई। जो कि निपाह वायरस से संक्रमित था।

केरल में सबसे पहले मई 2018 में निपाह वायरस संक्रमण की पुष्टि की गई थी। उस दौरान इस वायरस के राज्य में 17 मौते हुई थी। जिसकी वजह से लोगों में इस बीमारी को लेकर अभी भी भय बना हुआ है। इस बार जैसे केरल में निपाह वायरस के मामले सामने आए हैं, केंद्र सरकार के नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) की एक टीम राज्य के स्वास्थ्य विभाग की मदद के लिए रवाना कर दी गई है। बिजनेस स्टैंटर्ड अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक दो और लोगों में निपाह वायरस के लक्षण पाए गए हैं। जिसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि इस बार हालात नियंत्रण में है। प्रशासन की ओर से प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन किया जा रहा है।


राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने बताया कि इस वायरस से संक्रमित हुए बच्चे के संपर्क में आए 188 लोगों में से 20 ज्यादा जोखिम वाली स्थिति में हैं। जिन दो लोगों में संक्रमण के लक्षण पाए गए वे इन्हीं में शामिल हैं। अब तक के हालातों को देखते हुए उन्होंने कहा कि चिंता करने की कोई बात नहीं है। स्वास्थ्य विभाग हालात पर करीबी नजर बनाए रखे हुए हैं।

निपाह वायरस के लक्षण

निपाह वायरस से संक्रमित होने के 5-14 दिन बाद ये वायरस तेज बुखार और सिरदर्द की वजह बन सकता है।

इंफेक्शन की शुरुआत में सांस लेने में समस्या होती है। इसके अलावा आधे मरीजों में न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें भी होती है।

वायरस फैलने के कारण

आम तौर पर ये वायरस इंसानों में इंफेक्शन की चपेट में आने वाले चमगादड़ो, सूअरों या फिर दूसरे इंसानों से फैलता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार निपाह वायरस तेजी से सामने आने वाला वायरस है, जो इंसानों और जानवरों में गंभीर बीमारियां पैदा करता है। जहां तब इस वायरस के बारे में पता लगाया गया उसके अनुसार इसे लाने-ले जाने वाले कोई माध्यम नहीं थे।

साल 2004 में बांग्लादेश में कुछ लोग इस वायरस की चपेट में आए थे। इल लोगों ने खजूर के पेड़ से निकलने वाले तरह को चखा था और इस तरल तक वायरस को लेने जानी वाली चमगादड़ थी, जिसे फ्रूट बैट कहा जाता है। इससे पहले 1998 में मलेशिया के कम्पंग सुंगई में निपाह वायरस का पता चला था और वहीं से इसका नाम करण भी हुआ। उस दौरान इस बीमारी को फैलाने में सूअर कारण बने थे।

निपाह वायरस का इलाज?

कोविड-19 की तरह इस वायरस से इंसानों और जानवरों को बचाने के लिए अब तक कोई भी इंजेक्शन नहीं बनाया गया है।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments