Monday, September 30, 2024
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भारत का भविष्य भारत की पुत्रियों एवं स्त्रियों के हाथ मेः साध्वी ऋतंभरा


मथुरा। आरसीए बालिका स्नातकोत्तर महाविद्यालय की स्थापना के स्वर्णिम वर्ष में प्रवेश के उपलक्ष्य में महाविद्यालय में हवन यज्ञ व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में जहां एक ओर ख्यातिप्राप्त कवियों ने अपनी ओजस्वी वाणी से महाविद्यालय के सभागार को गुंजित किया वहीं मंत्रोच्चार और हवन से पूरे महाविद्यालय का वातावरण महक उठा।


महाविद्यालय के स्वर्णिम वर्ष में प्रवेश के अवसर पर साध्वी ऋतंभरा ने डिजिटली भेजे अपने संदेश में कहा कि में इस महाविद्यालय से लंबे अरसे से जुड़ी हूं। मैं बड़ी आशा के साथ इस महाविद्यालय की छात्राओं को देखती हूं। महाविद्यालय की छात्राओं में भविष्य को संवारने की अनेक संभावनाएं निहित हैं। भारत का भविष्य भारत की पुत्रियों एवं स्त्रियों के हाथ में है।

उन्होंने छात्राओं के कहा कि अपने लिए नहीं अपितु अपने लोगों के लिए जिएं। जब एक बीज डाला जाता है तो उसको बोने वाले ये नहीं सोचते कि वे उसका फल खाएंगे अपितु यह आशा करते हैं कि भविष्य में उस बीज से जो वृक्ष तैयार होगा उसका बेहतर उपयोग किया जाएगा। महाविद्यालय के स्वर्णिम वर्ष के अवसर पर उन्होंने सभी पुत्री रूपी छात्राओं सभी शिक्षिकाओं एवं कर्मचारियों तथा प्रबंध समिति के सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई दी। यवन एवं पूजन में महाविद्यालय की प्रबंध समिति के अध्यक्ष रमेश मीतल, प्राचार्या डा. प्रीति जौहरी, सचिव गिरीश अग्रवाल, उपाध्यक्ष राम बाबू अग्रवाल, वरिष्ठ सदस्य विजय प्रकाश अग्रवाल आदि मौजूद रहे।


हवन के उपरांत आयोजित काव्यांजलि का शुभारंभ मां सरस्वती के माल्यार्वण एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। लोकप्रिय कवियित्री डा. सरिता शर्मा ने अपनी प्रसिद्ध रचना, सारी दुनिया से दूर हो जाऊं, तेरी आंख का नूर हो जाऊं, तेरी राधा बनूं या न बनूं तेरी मीरा हो जाऊं, पढ़कर लोगों की खूब तालियां बटोरीं। ब्रजभाषा के कवि गोपाल प्रसाद गोप ने एक मुक्तक, ऊपरी ऊपरी मुस्कुराओ नहीं, बेवजह किसी का दिल दुखाओ नहीं, पढ़ा।

डा. रमाशंकर पांडे ने ओजस्वी स्वरों में राष्ट्रपेम से युक्त कविताओं से सभी का दिल जीत लिया। उन्होंने अपनी रचना, बलिदान देकर वरदान देश को दिया…ऐसे मरे देश को प्रणाम पढ़ी। ख्यातिप्राप्त युवा कवि मनवीर मधुर ने पूरे जोश और भावनाओं से ओतप्रोत गीत, स्वार्थ सोच घर कर जाने पर, जीवन रण हो जाता है, मन में राम नहीं है तो तन रावण हो जाता है, सुनाकर श्रोताओं का दिल जीत लिया। सुश्री पद्मिनी शर्मा ने, प्यारा मुझे बहुत था, मगर छोड़ के आई। हंसते हुए बचपन का नगर छोड़ के आई, गीत सुनाकर लोगों का ध्यान आकर्षित किया। डा. नीतू गोस्वामी ने अपने गीत, चाहे दौलत न दो चाहे शोहरत न दो तुम जरा मुस्करा दो बहुत हो गया, सुनाकर खूब सराहना बटोरी।

वरिष्ठ कवि राधा गोविंद पाठक ने अपनी चर्चित कविता ‘बेटी’ सुनाकर लोगों को भावुक कर दिया। काव्यांजलि डा. अनिल गहलौत, नरायण सिंह ने भी अपनी रचनाओं से खूब तालियां बटोरीं। काव्यांजलि का संचालन डा. अर्चना पाल द्वारा किया गया। कार्यक्रम में डा. अशोक जौहरी, ओपी अग्रवाल, डा. यशपाल बघेल, पूर्व विधायक हुकुम चंद्र तिवारी पूर्व विधायक चौधरी प्रणतपाल, किशन चतुर्वेदी आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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