Saturday, November 23, 2024
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शारदीय नवरात्र कल से होंगे शुरू, जानें मां दुर्गा की सवारी व दुर्गा पूजा से जुड़ी खास जानकारियां


मां दुर्गा के नो पूरों का पूजन और उपासना का पावन पर्व शारदीय नवरात्रि 07 अक्टूबर, गुरुवार से प्रारंभ हो रहा है। नवरात्रि को देशभर में पूर्ण आस्था और विश्वास के साथ मनाया जाता है। साल में नवरात्रि दो बार आती हैं। एक बार चैत्र नवरात्रि और दूसरे शारदीय नवरात्रि। नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की विधिवत पूजा की जाती है। माता रानी को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त उपवास भी करते हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध किया था, तब इस पर्व की शुरुआत हुई थी। कहते हैं कि मां दुर्गा और राक्षस के बीच लड़ाई 9 दिन तक चली थी और दसवें दिन माता रानी से राक्षस का वध किया था। तभी से नवरात्रि मनाने की परंपरा चली आ रही है।

इस बार कितने दिन के पड़ रहे शारदीय नवरात्रि 2021-

नवरात्रि 07 अक्टूबर से प्रारंभ होकर 14 अक्टूबर तक रहेंगे। इस साल तृतीया और चतुर्थी तिथि एक साथ पड़ने के कारण नवरात्रि आठ दिन के पड़ रहे हैं। 15 अक्टूबर को दशहरा यानी विजयादशमी का त्योहार मनाया जाएगा।

मां दुर्गा की सवारी-

इस साल मां दुर्गा का पालकी यानी डोली पर आगमन होगा और माता रानी हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करेंगी।

शारदीय नवरात्रि 2021 तिथियां-

पहला दिन (7 अक्टूबर)- मां शैलपुत्री की आराधना

दूसरा दिन (8 अक्टूबर)- मां ब्रह्मचारिणी की आराधना

तीसरा दिन (9 अक्टूबर)- मां चंद्रघंटा और मां कुष्मांडा की पूजा

चौथा दिन (10 अक्टूबर)- मां स्कंदमाता की आराधना

पांचवा दिन (11 अक्टूबर) मां कात्यायनी की आराधना

छठा दिन (12 अक्टूबर) मां कालरात्रि की आराधना

सातवां दिन (13 अक्टूबर)- मां महागौरी की पूजा

आठवां दिन (14 अक्टूबर)- मां सिद्धिरात्रि की पूजा

नौवां दिन (19 अक्टूबर)- दशहरा

घटस्थापना का शुभ मुहूर्त-

शारदीय नवरात्रि में घटस्थापना का शुभ समय सुबह 06 बजकर 17 मिनट से सुबह 07 बजकर 07 मिनट तक ही है। कलश स्थापना नवरात्रि के पहले दिन यानी 07 अक्टूबर, गुरुवार को ही की जाएगी।

शारदीय नवरात्रि पूजन सामग्री-

मां दुर्गा की प्रतिमा या फोटो, सिंदूर, केसर, कपूर, धूप,वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सुगंधित तेल, चौकी, चौकी के लिए लाल कपड़ा, पानी वाला जटायुक्त नारियल, दुर्गासप्तशती किताब, बंदनवार आम के पत्तों का, पुष्प, दूर्वा, मेंहदी, बिंदी, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, आसन, पांच मेवा, घी, लोबान,गुग्गुल, लौंग, कमल गट्टा,सुपारी, कपूर. और हवन कुंड, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, कमलगट्टा, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, शहद, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, लाल रंग की गोटेदार चुनरीलाल रेशमी चूड़ियां, सिंदूर, आम के पत्ते, लाल वस्त्र, लंबी बत्ती के लिए रुई या बत्ती, धूप, अगरबत्ती, माचिस, कलश, साफ चावल, कुमकुम,मौली, श्रृंगार का सामान, दीपक, घी/ तेल ,फूल, फूलों का हार, पान, सुपारी, लाल झंडा, लौंग, इलायची, बताशे या मिसरी, असली कपूर, उपले, फल व मिठाई, दुर्गा चालीसा व आरती की किताब,कलावा, मेवे, हवन के लिए आम की लकड़ी, जौ आदि।

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