मथुरा। दशहरा पर्व पर जहां देशभर में लंकापति रावण के पुतले जलाए जा रहे हैं। वहीं भगवान कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में रावण का पूजन विधिविधान से किया जा रहा है। शुक्रवार को सारस्वत ब्राह्मण यमुना किनारे पुल के समीप भगवान शिव मंदिर में पहले रावण के स्वरुप में उनके ईष्ट भगवान शिव की पूजा की। इसके बाद रावण का विधिविधान से पूजन किया गया।
इस दौरान सारस्वत गोत्र ब्राह्मणें का कहना है कि रावण के मुकाबले विश्व में कोई दूसरा विद्वान नहीं था। रावण ने भगवान राम को अपना आदर्श माना था। रावण का पुतला फूंकना कुप्रथा है। अब लोग न राम है न रावण।
सारस्वत समाज के लोगों ने कहा कि लंकेश यानि रावण प्रकाण्ड विद्वान थे। भगवान राम ने भी अपने लंका पर विजय प्राप्ति के अभियान के दौरान सेतुबंध पर भगवान रामेश्वर की स्थापना की। इस स्थापना के लिए भगवान राम ने प्रकाण्ड विद्वान रावण को आचार्य बनाने के लिए जामवंत को आमंत्रित करने के लिए लंका भेजा था।
इस आमंत्रण को लंकेश ने स्वीकार किया। प्रकाण्ड विद्वार रावण ने रामेश्वर की स्थापना कराने के बाद भगवान राम को आशीर्वाद दिया था। यदि ऐसे प्रकाण्ड विद्वान का पुतला जलाकर प्रतिवर्ष अपमान करें तो यह भगवान के आदर्शों के प्रतिकूल हैं।