आगरा से लौटे छात्र-छात्राओं ने बताया यादगार लम्हा
मथुरा। राजीव एकेडमी फॉर टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट के बीसीए द्वितीय व तृतीय वर्ष के छात्र-छात्राओं ने गत दिवस आगरा स्थित मुगलकालीन स्मारकों का शैक्षिक भ्रमण किया तथा वापस लौटने पर उन्होंने इसे यादगार लम्हा बताया। इन छात्र-छात्राओं को शैक्षिक भ्रमण की विदाई संस्थान के निदेशक डॉ. अमर कुमार सक्सेना ने दी थी।
शैक्षिक भ्रमण में छात्र-छात्राओं का मार्गदर्शन संस्थान के ट्रेनिंग एण्ड प्लेसमेंट विभाग के हरजीत यादव ने किया। श्री यादव ने छात्र-छात्राओं को प्रतिपल शैक्षिक बिन्दुओं की ओर प्रोत्साहित किया। छात्र-छात्राओं के शैक्षिक भ्रमण में विभागाध्यक्ष सहित कई शिक्षक भी थे। भ्रमण दल सबसे पहले फतेहपुर सीकरी पहुंचा जहां उसने सर्वप्रथम यहां की मस्जिद (जामी मस्जिद) जिसकी लम्बाई 165 मीटर है, उसे देखा। इतना ही नहीं इसमें बने शेख शलीम चिश्ती के अलंकृत मकबरे का भी अवलोकन किया।
शैक्षिक भ्रमण में छात्र-छात्राओं ने वर्ष 1575 में निर्मित विजय द्वार (बुलन्द दरवाजा) का भी अवलोकन किया। यह भारत में मुगलकालीन शैली के सभी स्मारकों में वास्तुशिल्प का सर्वश्रेष्ठ नमूना है। इसके पत्थरों को ऐसे साल्यूशन से जोड़ा गया है जिस पर मौसम का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इस विजय द्वार का निर्माण बलुआ पत्थर से हुआ है।
विद्यार्थियों ने यहां स्थित जोधा महल का भी अवलोकन किया। जोधा महल के निर्माण में हर मौसम और पर्यावरणीय दृष्टिकोण पर ध्यान दिया गया है। यहां के गाइडों द्वारा छात्र-छात्राओं को बताया गया कि फतेहपुर सीकरी को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है। भ्रमण दल के विद्यार्थियों ने यहां कोस मीनार का भी दीदार किया जिसका उपयोग उस काल में घुड़सवारों द्वारा मार्ग की पहचान के लिए होता था। इनके अलावा छात्र-छात्राओं ने यहां के भवनों की उत्कृष्ट नक्काशी, पंच महल, दीवान आम, दीवान-ए-खास आदि का आंतरिक अवलोकन कर मुगलकालीन वास्तुकला प्रबन्धन का डाटा एकत्र किया।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि शैक्षिक जीवन में जितना पुस्तकों का महत्व है उससे कहीं अधिक जरूरी है पुरातन स्थलों का भ्रमण। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि शैक्षिक भ्रमण से जो ज्ञान और जानकारी हासिल होती है, वह जीवन पर्यंत मानस पटल पर बनी रहती है।