के.डी. डेंटल कॉलेज में विश्व एड्स दिवस पर हुई कार्यशाला
मथुरा। के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में बुधवार को विश्व एड्स दिवस पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में छात्र-छात्राओं, हॉस्पिटल की ओपीडी में आने वाले मरीजों तथा अटेंडरों को एड्स जैसी महामारी के प्रति जागरूक किया गया। कार्यशाला का शुभारम्भ डीन एवं प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी ने किया। इस अवसर पर लोगों को पोस्टर और पम्पलेट प्रदान कर उन्हें इस बीमारी के प्रति आगाह किया गया। डॉ. मनेष लाहौरी ने कहा कि सावधानी ही एड्स से बचाव का एकमात्र उपाय है क्योंकि अभी तक इसकी कोई दवा नहीं बनी है।
कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी ने बताया कि विश्व एड्स दिवस मनाए जाने का उद्देश्य लोगों को एचआईवी महामारी के प्रति जागरूक करते हुए उन्हें इससे बचाना तथा इसे समाप्त करना है। विश्व एड्स दिवस 2021 की थीम असमानताओं को समाप्त करना तथा एड्स का खात्मा है। डॉ. लाहौरी ने बताया कि एड्स ह्यूमन इम्यूनोडेफिशियेंसी वायरस (एचआईवी) के संक्रमण के कारण होने वाली महामारी है। इस दिन को पहली बार 1988 में चिह्नित किया गया था तथा वर्ष 1996 में संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक स्तर पर इसके प्रचार-प्रसार तथा 1997 में विश्व एड्स अभियान के तहत संचार, रोकथाम और शिक्षा पर कार्य शुरू किया था।
डॉ. लाहौरी ने कहा कि एड्स एक ऐसी बीमारी है जिसमें इंसान की संक्रमण से लड़ने की शारीरिक क्षमता शून्य हो जाती है। सच कहें तो अब तक एड्स का कोई प्रभावी इलाज नहीं है। उन्होंने कहा कि एचआईवी संक्रमण किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। विश्व एड्स दिवस मनाने का प्रमुख उद्देश्य एचआईवी संक्रमण की वजह से होने वाली महामारी एड्स के बारे में हर उम्र के लोगों के बीच जागरूकता पैदा करना है।
डॉ. नवप्रीत कौर ने कहा कि आज के समय में एड्स सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। एचआईवी एक प्रकार के जानलेवा इंफेक्शन से होने वाली गम्भीर बीमारी है। इस रोग में जानलेवा इंफेक्शन व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) पर हमला करता है, जिसकी वजह से शरीर सामान्य बीमारियों से लड़ने में भी अक्षम हो जाता है।
उन्होंने बताया कि जागरूकता अभियान चलाए जाने का बाद भी आज पूरी दुनिया में प्रतिदिन बहुत से लोग एड्स का शिकार हो रहे हैं। भारत की जहां तक बात है यहां एड्स का पहला मामला 1986 में सामने आया था। डॉ. नवप्रीत ने कहा कि 60 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान होने पर एचआईवी के विषाणु मर जाते हैं।