डॉ. कौशल दीप सिंह और डॉ. मोहसिन फयाज ने अनार देवी के चेहरे पर लौटाई मुस्कान
मथुरा। चिकित्सा-शिक्षा के क्षेत्र में ख्यातिनाम के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर प्रबंधन यहां लगातार आधुनिकतम चिकित्सा उपकरणों में इजाफा कर रहा है ताकि मरीजों को इलाज के अभाव में दिल्ली, जयपुर, आगरा या दीगर शहरों की तरफ न भागना पड़े। इसी कड़ी में यहां एंडोस्कोपिक (दूरबीन) विधि से पिट्यूटरी ग्रंथी के दिमाग के ट्यूमर और कमर के ऑपरेशन की सुविधा भी उपलब्ध करा दी गई है।
के.डी. हॉस्पिटल के विशेषज्ञ न्यूरो सर्जनों डॉ. कौशल दीप सिंह और डॉ. मोहसिन फयाज ने लम्बे समय से कमर दर्द से परेशान अनार देवी पत्नी नाहर सिंह (55) निवासी पंडूपुर, खामिनी, मथुरा की एंडोस्कोपिक विधि से एक टांके की दुर्लभ सर्जरी कर उसे परेशानी से निजात दिलाई है। इससे पहले यह दोनों चिकित्सक दूरबीन विधि से यहां पिट्यूटरी ग्रंथ के दिमाग के ट्यूमर की भी सर्जरी कर चुके हैं।
गौरतलब है कि अनार देवी काफी समय से कमर के दर्द से परेशान थीं। यह दर्द उनकी कमर से नीचे होते हुए बाएं पैर में जाता था और सियाटिका की परेशानी कर रहा था। उनके बाएं पैर में जलन के साथ सनसनाहट भी होती थी। दर्द के कारण वह अपने साधारण काम करने में भी असमर्थ थीं। दवाएं लेने के बाद भी उनको पूर्ण रूप से आराम नहीं मिल रहा था। आखिरकार उन्होंने अपने बेटे के साथ इस परेशानी से निजात के लिए के.डी. मेडिकल कॉलेज में न्यूरो सर्जरी विभाग के न्यूरो सर्जन डॉ. कौशल दीप सिंह और डॉ. मोहसिन फयाज से परामर्श लिया।
कमर की एम.आर.आई. कराने से पता चला कि उनको रीढ़ की हड्डी के निचले भाग में एल-4-एल-5 स्तर पर बाईं तरफ डिस्क बाहर आयी हुई थी जोकि बाएँ पैर की नसों को दबा रही थी। डॉ. कौशल और डॉ. मोहसिन ने मरीज को ऑपरेशन की सलाह दी। परिजनों की सहमति के बाद अनार देवी की डिस्क का ऑपरेशन एंडोस्कोपिक (दूरबीन) विधि से कैमरे के माध्यम से बहुत ही छोटे (आधा सेंटीमीटर) चीरे से किया गया। ऑपरेशन के बाद अनार देवी को जहां कमर दर्द से छुटकारा मिल गया वहीं वह बिना परेशानी के चलने-फिरने में भी समर्थ हो गईं। अब वह घर के सारे काम करने लगी हैं।
एंडोस्कोपिक विधि से की जाने वाली सर्जरी पर डॉ. कौशल दीप सिंह का कहना है कि इस तकनीक से बहुत ही महीन चीरे की वजह से मरीज को बहुत जल्द अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है, इन्फेक्शन का खतरा न के बराबर होता है तथा ऑपरेशन की जगह नाममात्र को दर्द होता है। मरीज अस्पताल से छुट्टी के बाद लगभग 15 दिन में अपने काम बिना परेशानी के कर सकता है। डॉ. कौशल दीप बताते हैं कि एंडोस्कोपिक (दूरबीन) विधि का इस्तेमाल पहली बार मथुरा क्षेत्र में किया गया है। इस विधि से सर्जरी की सुविधा दिल्ली और जयपुर के बड़े अस्पतालों में है तो लेकिन वहां बहुत अधिक पैसे खर्च करने होते हैं।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल तथा डीन डॉ. रामकुमार अशोका ने एंडोस्कोपिक विधि से सफल सर्जरी करने वाले चिकित्सकों डॉ. कौशल दीप सिंह और डॉ. मोहसिन फयाज व उनकी टीम को बधाई दी है। अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल का कहना है कि के.डी. हॉस्पिटल अपनी चिकित्सा सुविधाओं में निरंतर सुधार को प्रतिबद्ध है ताकि ब्रज मण्डल के किसी भी मरीज को चिकित्सा के अभाव में दूसरे शहरों की तरफ न जाना पड़े।