Sunday, November 24, 2024
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कड़ी चौकसी के बीच श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर लगे धार्मिक नारे, सुरक्षाकर्मियों में मची खलबली

थुरा। सोमवार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच कुछ करणी सेना के पदाधिकारियों और एक साधू ने नारेबाजी की। नारेबाजी के बाद पुलिस और सुरक्षाकर्मियों में खलबली मच गई। पुलिस ने चार लोगों को हिरासत में ले लिया।

छह दिसंबर को जनपद में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। मथुरा में श्री कृष्ण जन्मस्थान के मुख्यद्वार पर सोमवार को पहुंचे बरसाना के एक साधु और करणी सेना के पदाधिकारियों ने धार्मिक नारे लगाए। शोर-शराबा होने की सूचना पर मौके पर डीएम और एसएसपी भी पहुंचे। पुलिस चार लोगों को हिरासत में लेकर थाना गोविंदनगर ले गई।


एडीजी और आईजी ने देखी सुरक्षा व्यवस्था


श्री कृष्ण जन्मभूमि व शाही मस्जिद ईदगाह पर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए। एडीजी राजीव कृष्ण, आईजी नचिकेता झा, डीएम नवनीत चहल और एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर पुलिस बल के साथ लगातार दोनों धार्मिक स्थलों के आसपास के क्षेत्रों में भ्रमण करते रहे। पूरा इलाका पुलिस छावनी में तब्दील था। दोपहर में बरसाना के संत सर्वेश्वर दास मलूक, गोरखपुर के पछपड़वा निवासी आलोक कुमार चौहान, श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना जिला संभाग के अध्यक्ष फरीदाबाद निवासी विकास चौहान सहित अन्य लोग श्री कृष्ण जन्मभूमि के गेट पर पहुंचे। यहां उन्होंने जय श्री राम के नारे लगाना आरंभ कर दिया। सर्वेश्वर दास मलूक का कहना था हम सभी भी अलग-अलग स्थानों से आए थे। पुलिस हरकत में आई और सभी को वहां से हटाया गया। इस बीच एसएसपी की गाड़ी वहां पहुंची और हिरासत में लेकर गोविंदनगर थाने भेजा गया।


नजरबंद कारसेवकों ने घर पर ही किया शांति पाठ


श्रीकृष्ण जन्मभूमि निर्माण न्यास के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य देवमुरारी बापू सहित संतों ने अयोध्या के छह दिसंबर 1992 विवादित ढांचे को गिराए जाने को शौर्य दिवस के रूप में मनाया। शहीद हुए कारसेवकों की आत्मा की शांति के लिए अपने आवास पर सीमित संख्या में 144 धारा का पालन करते हुए कार्यक्रम किए। पुलिस द्वारा लिखित में आश्वासन लिए जाने के बाद कार्यकर्ता बाहर नहीं निकले और उनके घर के बाहर पुलिस का पहरा रहा।

देवमुरारी ने कहा कि हमारी भावना भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली पर भव्य मंदिर देखने की है। उन्होंने मुस्लिम समाज से भी अपील की कि आपसी भाईचारा के लिए वह भी शाही ईदगाह मस्जिद को श्रीकृष्ण जन्मस्थान को समर्पित कर दें, क्योंकि इससे पहले काशी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के पक्षकार मुसलमानों ने काशी विश्वनाथ को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर समर्पित कर दिया। शांति पाठ में नागा कुणाल गिरी निरंजनी अखाड़ा, रामकुटी के महंत देवदास, मुनेश अग्रवाल भी आदि शामिल थे।

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