Saturday, November 23, 2024
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के.डी. डेंटल कॉलेज में बेसिक कोर्स इन इम्प्लांटोलॉजी पर हुई कार्यशाला

  • छात्रों को डेंटल इम्प्लांटोलॉजी के सभी पहलुओं की जानकारी होना जरूरी


मथुरा। के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में बेसिक कोर्स इन इम्प्लांटोलॉजी विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। तीर्थंकर महावीर डेंटल कॉलेज एण्ड रिसर्च सेंटर, मुरादाबाद के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अभिषेक शर्मा ने कहा कि डेंटल इम्प्लांटोलॉजी के सभी बुनियादी सर्जिकल और प्रोस्थेटिक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करना प्रत्येक विद्यार्थी के लिए जरूरी है। दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ डीन और प्राचार्य डॉ. मनेश लाहौरी के स्वागत भाषण से हुआ।


डॉ. अभिषेक शर्मा डेंटियम इम्प्लांट्स विशेषज्ञ होने के साथ ही दिल्ली एनसीआर के विभिन्न क्लीनिकों में एक प्रसिद्ध सलाहकार प्रोस्थोडॉन्टिस्ट की भूमिका का भी निर्वहन करते हैं। कार्यशाला में अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ. शर्मा ने कहा कि दंत चिकित्सा के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी विस्तार और संसाधनों ने हर काम को जहां आसान किया है वहीं इम्प्लांटोलॉजी दंत चिकित्सा क्षेत्र में उपचार विकल्पों की एक विस्तृत श्रृंखला खोलती है। डॉ. अभिषेक शर्मा के व्याख्यान और प्रदर्शन का उद्देश्य मुख्य रूप से डेंटल इम्प्लांटोलॉजी के सभी बुनियादी सर्जिकल और प्रोस्थेटिक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करना रहा। उन्होंने कहा कि इसका ज्ञान स्नातक और स्नातकोत्तर छात्र-छात्राओं के लिए जरूरी है।


अपने उद्घाटन भाषण में डॉ. शर्मा ने इस बात पर जोर दिया कि यदि कोई सीखने को तैयार नहीं है तो कोई उसकी मदद नहीं कर सकता है लेकिन अगर कोई सीखने के लिए दृढ़ है, तो उसे कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने डेंटल इम्प्लांटोलॉजी का परिचय, उसके बाद निदान, उपचार योजना और उसके निष्पादन की विस्तृत जानकारी देते हुए एनाटोमिकल लैंडमार्क को चिह्नित करने पर एक लाइव प्रदर्शन प्रस्तुत किया तथा डेंटल इम्प्लांट लगाने में एक गाइड के रूप में उसके महत्व से भी रूबरू कराया।


कार्यशाला में उन्होंने उपचार योजना और ड्रिलिंग प्रोटोकॉल के महत्व को समझाते हुए मॉडल पर ऑस्टियोटॉमी साइटों को सटीक रूप से चिह्नित करने और ऑस्टियोटॉमी की तैयारी पर प्रदर्शन किया। इसके बाद इम्प्लांटोलॉजी में प्रोस्थेटिक घटकों और प्रोस्थेटिक विकल्पों के साथ-साथ विभिन्न इम्प्रेशन तकनीकों पर विचार साझा किए। उन्होंने डेंटल इम्प्लांटोलॉजी की प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न होने वाली जटिलताओं के प्रबंधन के तरीके भी बताए।


दूसरे दिन के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के डीन डॉ. लाहौरी द्वारा 30 छात्र-छात्राओं के लिए एक पूर्ण व्यावहारिक सत्र का आयोजन किया गया जिसमें उन्हें छोटे किन्तु महत्वपूर्ण पहलुओं की जानकारी दी गई। प्रतिभागियों को ओपीजी पर एनाटोमिकल लैंडमार्क को चिह्नित करने पर व्यावहारिक प्रशिक्षण देने के साथ ही वर्किंग मॉडल में ऑस्टियोटॉमी का प्रदर्शन किया और उसके बाद एक इम्प्लांट लगाया। बाद में विभिन्न इम्प्रेशन का प्रदर्शन किया गया। कार्यशाला पर अपने विचार साझा करते हुए डॉ. लाहौरी ने कहा कि भविष्य में इस तरह के आयोजन छात्र-छात्राओं को उनकी शंकाओं और अवरोधों पर काबू पाने में काफी मदद करेंगे, साथ ही उन्हें इम्प्लांटोलॉजी के प्रति बेहतर जानकारी और रुचि प्रदान करेंगे। सीडीई कार्यक्रम की सभी विभागाध्यक्षों, छात्र-छात्राओं और सहभागिता करने वाले प्रतिनिधियों ने सराहना की। सभी ने माना कि नए कौशल सीखना और ज्ञान प्राप्त करना हर किसी के लिए जरूरी है। कार्यशाला का समापन डॉ. अभिषेक शर्मा और डॉ. मनेश लाहौरी द्वारा सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र वितरण के साथ हुआ।


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