मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय में के सभागार में उच्च शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार की ओर से आयोजित एक दिवसीय मिनी राष्ट्रीय सम्मेलन में शिक्षण संस्थानों से ग्रामीणों को जागरूक करने और उनके विकास में सहभागिता करने का आह्वान किया गया। वक्ताओं ने कहा कि ऐसा करके ही हम एक सफल राष्ट्र के निर्माण की ओर आगे बढ़ पाएंगे।
सम्मेलन में भाग ले रहे राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षण परिषद के प्रतिनिधि अनिल कुमार दुबे ने कहा कि शिक्षण संस्थान जिस तरह से विद्यार्थियों के उन्नयन और विकास में जिम्मेदाराना तरीके से अपने कार्यों को अंजाम दे रहे हैं ठीक उसी तरह से अब उन्हें परिसर से बाहर आकर ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीणों के विकास के लिए उन्हें जागरूक करने का भी जिम्मा निभाना है, तभी हमारा देश समता, समावेश और समन्वय और स्वावलंबन से ही चहुंमुखी विकास कर पाएगा।
सम्मेलन में संस्कृति विवि के प्रति कुलपति डा.राकेश प्रेमी ने सरकार की व्यापक सोच और इस सोच को पूरा करने के लिए चलाई जा रही योजनाओं की सराहना करते हुए मौजूद प्रतिनिधियों को बताया कि संस्कृति विवि द्वारा पूर्व से ही ग्रामीणों को जागरूक करने, उनकी समस्याओं के निदान में सहभागिता करने, ग्रामीण क्षेत्र के दिव्यांग बच्चों के प्रशिक्षण, शिक्षण और पोषण करने का काम किया जा रहा है। विवि प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों के प्रति पूरी तरह से सचेत है और आगे दी जाने वाली जिम्मेदारियों को भी पूरी तरह निभाने के लिए संकल्पित है।
सम्मेलन में इंस्टीट्यूशनल रिस्पांसबिलिटी एवं कम्युनिटी इंगेज्मेंट को लेकर वक्ताओं ने विस्तार से विचार व्यक्त किए और जल, जमीन, जंगल, गाय, गोबर के संरक्षण व संवर्धन पर गंभीर विचार विमर्श किया गया। सम्मेलन का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। कार्यक्रम में एमजीएनसीआरई के रिसोर्स पर्सन साई सुधीर, संस्कृति विवि के डीन एकेडमिक डा. योगेश चंद्र, रजिस्ट्रार पूरन सिंह, डिप्टी रजिस्ट्रार आरएन त्रिवेदी के अलावा एटा, कासगंज, मैनपुरी, आगरा, हाथरस, अलीगढ़ की शिक्षण संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद रहे।